अमेरिकी और ब्रिटेन के बाजारों में अनिश्चितता के माहौल के बीच भारतीय आईटी कंपनियां आशावाद का नुस्खा अपना रही हैं।
भारतीय आईटी कंपनियां मानती हैं कि मांग में सुधार होगा और ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। मालूम हो कि भारत की आईटी कंपनियों की 80 फीसदी आमदनी अमेरिका और ब्रिटेन के बाजारों से ही होती है।
हाल ही में टीसीएस, विप्रो और एचसीएल टेक्नोलॉजिज को कई लाख डॉलर का करार मिला है। इसलिए ये कंपनियां यह मानती हैं कि अगर अर्थव्यवस्था और खराब नहीं होती है, तो इस साल के अंत तक आईटी क्षेत्र में सुधार आना शुरू हो जाएगा।
भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा प्रदान करने वाली कंपनी टीसीएस के कार्यकारी निदेशक और प्रमुख परिचालन अधिकारी एन. चंद्रशेखरन ने कहा, ‘हमलोग अब रिटेल, फार्मा, ऊर्जा और यूटिलिटी, पर्यटन और सत्कार सहित हर उद्योग से ग्राहक को अपनी ओर खिंचने की कवायद में जुटे हुए हैं।
पिछले साल डील तय करने में लंबा वक्त लग रहा था और उनमें से कु छ तो रद्द भी हो गए थे। हालांकि मौजूदा तिमाही (अप्रैल-जून 2009) में स्थितियां पहले से बेहतर हो गई है।’ कंपनी की कुछ डील तो एप्लिकेशन मैनेजमेंट सर्विसेज और बिजनेस ट्रांसफॉर्मेशन क्षेत्र में हो रही है। उन्होंने कहा कि इस साल बड़े डील हो रहे हैं।
बेंगलुरु की आईटी कंपनी विप्रो भी मौजूदा तिमाही में काफी आशान्वित है। हालांकि मौजूदा तिमाही में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले कम ग्राहक मिले, लेकिन फिर भी कंपनी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
कंपनी की आईटी कारोबार के संयुक्त सीईओ गिरीश परांजपे ने कहा, ‘हमने देखा है कि ग्राहकों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर महीना पिछले महीने से बेहतर गुजर रहा है। अप्रैल, मार्च से अच्छा रहा है, मार्च, फरवरी से बेहतर रहा है। उम्मीद करते हैं कि हमलोग स्थिरता की ओर बढ़ रहे हैं।’
