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देसी उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाना जरूरी

Last Updated- December 15, 2022 | 4:55 AM IST

बीएस बातचीत
सोलर गियर सहित तमाम इलेक्ट्रिकल उपकरणों के चीन से आयात पर रोक लगाने के लिए सरकार ने हाल में कई कदम उठाए हैं। इससे सोलर सेल एवं मॉड्यूल बनाने वाली घरेलू कंपनियों को फायदा होगा। टाटा पावर अपनी सौर विनिर्माण, परियोजना विकास और परिचालन एवं रखरखाव इकाई के जरिये खुद को एक स्वदेशी अक्षय ऊर्जा समाधान कंपनी के तौर पर स्थापित करना चाहती है। टाटा पावर रीन्यूएबल्स के अध्यक्ष आशिष खन्ना से श्रेया जय की बातचीत के मुख्य अंश:

केंद्र सरकार ने हाल में चीन से आयात पर लगाम लगाने के लिए कई गैर-शुल्क उपाय किए  हैं और सौर उपकरणों के आयात पर सीमा शुल्क लगाने पर विचार कर रही है। इस पर आप क्या कहेंगे?
इन उपायों की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब सीमा पर गतिरोध बढ़ गया लेकिन इसकी उम्मीद पहले से ही की जा रही थी। हालांकि सुरक्षा शुल्क (सौर उपकरणों के आयात पर) की भी घोषणा की गई है जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन यह बुनियादी तौर पर भारतीय विनिर्माताओं के लिए अनुत्पादक रहा है। सुरक्षा शुल्क व्यवस्था के तहत उन सभी परियोजनाओं को निर्यात (पास-थ्रू) की अनुमति दी गई है जिनके लिए बोली प्रक्रिया पहले हो चुकी है अथवा जो निष्पादन में हैं। इसका मतलब यह हुआ कि यदि कोई भारत से खरीदना चाहता है तो वह खरीदारी नहीं कर सकता क्योंकि भारतीय उत्पादों को पास-थ्रू नहीं दी गई थी। यह परियोजना डेवलपरों के लिए भी अनुत्पादक है क्योंकि पास-थ्रू में काफी समय लगता है। इस प्रकार की देरी से डेवलपरों के कार्यशील पूंजी पर दबाव बढ़ता है।
ऐसा इसलिए किया गया है ताकि डेवलपर घरेलू उत्पादों को ही चुनें। इस पर आपकी राय?
सभी आयात नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) से प्रमाणित होते हैं। इसलिए यदि मंत्रालय उस शुल्क को अगले 25 वर्षों के लिए टैरिफ के जरिये घुमाकर अदा करने के बजाय तत्काल वापस कर दे तो बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा। मुझे यह न मानने का कोई कारण नहीं दिखता है कि चीन मूल्य के मोर्चे पर भारत से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अभी भी कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाएं।

सौर उपकरणों के मूल्य पर इन तमाम शुल्कों एवं पाबंदियों के कारण लागत संबंधी किस प्रकार की जटिलताएं दिखेंगी?
जिस प्रकार के शुल्कों का संकेत दिया गया है उससे भारतीय उत्पाद आयातित उपकरणों के मुकाबले काफी प्रतिस्पर्धी होंगे। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत अब भी वैफर के लिए चीन पर निर्भर है जबकि हम सोलर सेल का उत्पादन यहां करते हैं। हमारी निर्भरता तत्काल खत्म नहीं होने वाली है। जहां तक घरेलू विनिर्माण का सवाल है तो मैं समझता हूं कि मॉड्यूल के मोर्चे पर पर्याप्त है लेकिन सेल के मोर्चे पर पर्याप्त नहीं है। मैं समझता हूं कि विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए तमाम कंपनियों को सामने आने में अभी वक्त लगेगा।

मौजूदा वैश्विक महामारी के कारण अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। इससे आपकी आपूर्ति शृंखला किस प्रकार प्रभावित हुई?
चीन में क्या हो रहा है, उस पर हम करीबी नजर रख रहे हैं लेकिन क्षमता बढ़ाने की हमारी योजना फिलहाल अनिश्चित है और सामग्रियों की उपलब्धता को भी झटका लगा है। फोर्स मेजर शर्तों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। अच्छी बात यह है कि हम परियोजनाओं को पूरा करने में समर्थ हैं लेकिन समस्या यह है कि इससे हमारी योजना और कार्यशील पूंजी प्रभावित हुई है। अब हम अपनी योजना में बदलाव कर रहे हैं। टाटा पावर में हम अपने परियोजना स्थल को इस प्रकार समावेशी बना रहे हैं ताकि बाहरी दुनिया की उसमें अधिक दखल न हो। परियोजना स्थल पर मशीनीकरण से काफी मदद मिल रही है।

First Published - July 12, 2020 | 11:30 PM IST

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