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IT कंपनियों के ESG स्टैंडर्ड डील हासिल करने में अहम

कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने पर ध्यान दे रहीं आईटी कंपनियां

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आयुष्मान बरुआ   
Last Updated- June 19, 2023 | 9:22 PM IST

सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए ESG (पर्यावरण, सामाजिक और कॉरपोरेट शासन) मानक सौदा हासिल करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसका कारण है कि ग्राहक स्थिरता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं और समान पृष्ठभूमिक के साथ साझेदार भी काम करना चाहते हैं।

गार्टनर के वरिष्ठ निदेशक (विश्लेषक) डीडी मिश्र ने कहा, ‘ग्राहक के मूल्यांकन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा स्थिरता है। इस पर दुनिया भर में जबरदस्त फोकस रहता है और यह शीर्ष पांच व्यावसायिक प्राथमिकताओं में से एक बनता जा रहा है। कोई भी संगठन तब तक टिकाऊ नहीं रह सकता है जब तक उसके पास अपने भागीदारों का एक पूरा टिकाऊ परिवेश नहीं हो। यह अंतिम उपयोगकर्ता के लिए भी तेजी से प्रासंगिक हो रहा है।’

गार्टनर के एक हालिया सर्वेक्षण में आधे से अधिक अंतिम उपयोगकर्ताओं ने दर्शाया है कि सेवा प्रदाताओं को चुनने में स्थिरता एक जरूरी मानदंड रहता है। अंतिम उपयोगकर्ता अतिरिक्त भुगतान करने में भी परहेज नहीं करते हैं अगर कोई अपनी मजबूत स्थिरता दिखाता है।

इन्फोसिस ESG को लेकर सबसे आगे रही है साल 2020 में ही कार्बन तटस्थ बन गई है। कंपनी ने पेरिस समझौते में तय की गई मियाद से 30 साल पहले ही ऐसा कर चुकी है। कंपनी ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है, ‘आज हम जो कुछ भी करते हैं उसमें पर्यावरणीय विचार शामिल रहते हैं।’

इन्फोसिस के भारत के दफ्तरों में करीब 50 फीसदी बिजली नवीकरणीय स्रोतों से आती है। अपने ESG विजन 2030 के तहत इन्फोसिस हर साल स्कोप 1, 2 और 3 उत्सर्जन में कार्बन तटस्थता को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका विस्तार करते हुए कंपनी का लक्ष्य है कि वह 2030 तक अपने कार्यबल में महिलाओं की 45 फीसदी भागीदारी हासिल करेगी। वित्त वर्ष 2024 तक इन्फोसिस में 1,35,355 महिला कर्मचारी हैं, जो उसके कुल कार्यबल का 39.4 फीसदी था।

साल 2030 तक विप्रो का भी लक्ष्य है कि वह भारत में अपनी बिजली की जरूरतों के लिए 100 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करे और इसके साथ ही अपने परिवहन के संचालन में 100 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों का ही उपयोग करे। कंपनी ने साल 2040 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।

पेरिस समझौते के अनुरूप (इसमें साल 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा गया है) और कार्बन उत्सर्जन साल 2017 के मुकाबले साल 2030 तक 60 फीसदी कम करने का अंतरिम लक्ष्य बनाया है। पिछले 24 महीनों में विप्रो ने महिला अधिकारियों की हिस्सेदारी 7.3 फीसदी से बढ़ाकर 17.3 फीसदी की है। 31 मार्च, 2023 तक विप्रो के कार्यबल में 36.4 फीसदी महिलाएं थीं।

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 2016 की तुलना में स्कोप 1 और स्कोप 2 कार्बन उत्सर्जन में 71 फीसदी की कमी की है। कंपनी ने अपने लक्ष्य को निर्धारित समय से दो साल पहले ही हासिल कर लिया है। TCS के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में कर्मचारियों की कार्यालय में वापसी से बिजली की बढ़ती के खपत के बावजूद ऐसा किया जा सका।

TCS की हालिया वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ऊर्जा का स्रोत 2016 के 7.25 फीसदी से बढ़कर आज 55 फीसदी हो गया है। वित्त वर्ष 2023 तक TCS के कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 35.7 फीसदी है।

First Published : June 19, 2023 | 7:48 PM IST