आर्गेनिक केमिकल्स व बल्क फार्मास्यूटिकल्स का उत्पादन करने वाली देश की अग्रणी लुधियाना स्थित कंपनी आईओएल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड अपनी विस्तार योजना को अंजाम देने के लिए अपनी पांच से सात फीसदी हिस्सेदारी को बेचने की योजना बना रही है।
कंपनी अपनी क्षमता में बढ़ोतरी के लिए अलग से 300 करोड़ रुपये की उगाही चाहती है। इसके अलावा कंपनी फार्मा के एक नये प्रकार के उत्पादन में भी प्रवेश करने जा रही है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक वरिंदर गुप्ता ने बताया, ‘हमें अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए 300 करोड़ रुपये निवेश करने की जरूरत है ताकि हम नए उत्पाद के क्षेत्र में टिक सके। 300 करोड़ के इस विस्तार के लिए वित्तीय संस्था व बैंकों से कर्ज लिए जा रहे हैं। तो आंतरिक संभूति का भी सहारा लिया जा रहा है। वर्ष 2010 के फरवरी महीने तक इस विस्तार योजना को पूरा हो जाने की उम्मीद है।’
उन्होंने बताया कि 32.25 करोड़ की उगाही के लिए इंडियास्टार लिमिटेड व एफआईआई को पहले ही शेयर आवंटित किए जा चुके हैं और उन्होंने इसके लिए 24 करोड़ रुपये का अपना योगदान दिया है। उन्होंने आगे बताया कि कंपनी 5 से 7 फीसदी तक अपने शेयर को कम करने की प्रक्रिया में है। कंपनी अपनी एसेटिक एसिड की क्षमता को 50,000टीपीए (टन प्रतिवर्ष) से बढ़ाकर 75,000 टीपीए करना चाहती है, वही इथेल एसिटेट की क्षमता को 33,000 टीपीए से बढ़ाकर 36,000 टीपीए करना चाहती है। कंपनी ने अपनी एक अन्य प्लांट की क्षमता में 4 मेगावाट की बढ़ोतरी कर उसके उत्पादन को 17 मेगावाट तक करने की योजना बनाई है।
इसके अलावा कंपनी 6600 टीपीए की क्षमता वाली मोनोक्लोरो एसिटिक एसिड के निर्माण के लिए सुविधाएं मुहैया कराना चाहती है। इसके अलावा कंपनी इब्यूप्रोफेन की निर्माण में बढ़ोतरी के लिए आईसोब्यूटिल के प्लांट को लगाने की योजना बना रही है।
साथ ही कंपनी नई किस्म की अल्सर विरोधी दवाइयों के निर्माण के लिए फार्मा उत्पादन के नए क्षेत्र में कदमी रखने जा रही है। कंपनी रेबिप्राजोल व उससे जुड़ी ओमेरप्राजोल, एस्मोप्राजोल, लैंसोप्राजोल व पैंटोप्राजोल का निर्माण करेगी। जिससे कंपनी के दवा कारोबार को मजबूती मिलेगी। रेबिप्राजोल दवाई का इस्तेमाल पेट में होने वाली गैस को दूर करने व अन्य अल्सर को दूर करने में किया जाता है। कंपनी के मुताबिक रेबिप्राजोल का वर्ष 2009 के दौरान पेटेंट करा लिया जाएगा जिससे देश में व बाहर के देशों में भी इसकी मांग में मजबूती आएगी। वर्ष 2005-06 में कंपनी का कुल कारोबार 174.47 करोड़ का रहा जबकि इस दौरान मुनाफा 18.22 करोड़ का हुआ।
यह कारोबार व मुनाफा वर्ष 2006-07 में बढ़कर क्रमश: 231.71 करोड़ रुपये व 19.14 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर के अंत तक कंपनी की आय 64.41 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 234.31 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई। गत वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान यह आय मात्र 142.51 करोड़ रुपये की थी। वर्ष 2010-11 तक कंपनी का कुल कारोबार 800 करोड़ रुपये तक पहुंचने का लक्ष्य है।