देश के 20 राज्यों काम कर रही एक वाहन कंपनी को चिंता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत प्रदर्शन वाहनों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) मिलेगा या नहीं। इसकी वजह इस मामले में 4 राज्यों के एडवांस रूलिंग निकायों के विरोधाभासी फैसले हैं।
हाल ही में मध्य प्रदेश अथॉरिटी फार एडवांस रूलिंग (एएआर) ने कहा कि ऐसे वाहनों पर आईटीसी नहीं मिल सकता है क्योंकि इनका इस्तेमाल आपूर्ति बढ़ाने में नहीं होता है। यह महाराष्ट्र और केरल के एएआर के फैसले के विपरीत है, जिसमें कहा गया है कि इस तरह के वाहनों पर आईटीसी मिल सकता है।
इसके अलावा हरियाणा एएआर ने बीएमडब्ल्यू इंडिया के लिए नियम देते समय डिमांस्ट्रेशन वाहनों पर आईटीसी लाभ देने से इनकार कर दिया।
इसकी वजह से उद्योग उहापोह की स्थिति में है।
इस भ्रम के साथ वर्गीकरण का मसला, नियम में राजस्व संबंधी पक्षपात, आवेदनों के निपटान में देरी, एएआर में वरिष्ठ अधिकारियोंं की कमी ने भी जीएसटी के तहत एडवांस रूलिंग व्यवस्था को उद्योगों के बीच अलोकप्रिय बना दिया है।
पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में एएआर आवेदनों के निपटान में बहुत देरी हो रही है। इसके अलावा राष्ट्रीय एएआर का प्रस्ताव, जिसे जीएसटी परिषद ने पारित किया था, लाए जाने को 2 साल होने को हैं, अभी इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है। इसमें विभिन्न राज्यों की अलग राय होने पर मामलों पर फैसला किए जाने का प्रस्ताव है। कुछ राज्यों ने अब तक संबंधित कानून नहीं बनाए हैं।
केपीएमजी के अप्रत्यक्ष कर के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘एएआर के विरोधाभासी फैसले उद्योग को हैरान करने वाले हैं। क्षति होने के बाद कर, कर्मचारी लाभ, सौर बिजली परियोजनाएं, बैक आफिस सेवाएं कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां विरोधाभासी फैसले आए हैं। इस तरह से कर की स्थिति, विविधीकृत गतिविधियों, कर प्राधिकारियों द्वारा नोटिस आदि को लेकर चुनौतियां बनी हुई हैं।’
विदेशी कंपनियों के देश में पंजीकृत संपर्क कार्यालयों के मामले में अलग नियम मसले को और जटिल बना रहे हैं। कर्नाटक एएआर ने जर्मन कंपनी के मामले में फैसला दिया कि संपर्क कार्यालय केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम के तहत पंजीकृत होंगे और भारत में जीएसटी का भुगतान करना होगा। वहीं तमिलनाडु और राजस्थान एएआर ने नियम दिया कि सीजीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत कोई आपूर्ति नहीं हो रही है, इसलिए इसकी जरूरत नहीं है। बहरहाल कर्नाटक अपीली एएआर (एएएआर) ने जर्मन कंपनी के मामले में एएआर नियम का फैसला पलट दिया और कहा कि बेंगलूरु का संपर्क कार्यालय का कोई अलग से कानूनी अस्तित्व नहीं है, ऐसे में भारत में उसके पंजीकरण की कोई जरूरत नहीं है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एमएस मणि ने कहा कि विरोधाभासी फैसले की वजह से एएआर से संपर्क करने के मामले में कारोबारी सावधानी बरत रहे हैं।
केपीएमजी के सिंह ने कहा, ‘कुछ एएआर राजस्व केंद्रित हैं और करदाताओं के खिलाफ हैं। ऐसे में डर की स्थिति है और फाइलिंग से बचा जा रहा है।’
एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा, ‘ज्यादातर एएआर के फैसले राजस्व की ओर झुके हुए हैं।’ ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन का भी ऐसा ही मानना है।
