चालू वित्त वर्ष में इस साल 15 नवंबर तक सेंटर फॉर प्रोसेसिंग एक्सीलेरेटेड कॉरपोरेट एक्जिट (सी-पेस) के तहत कुल 11,855 कंपनियों को हटा दिया गया है। सी-पेस की स्थापना पिछले साल 100 से भी कम दिनों के भीतर की गई थी। यह जानकारी कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने लोक सभा में एक जवाब के दौरान दी। साथ ही बताया गया कि ऐसे आवेदनों के निष्पादन में लगने वाला समय भी पहले के छह महीनों से कम होकर 70 से 90 दिन हो गया है।
केंद्र सरकार ने हितधारकों के साथ बातचीत की आवश्यकता को खत्म करने के विचार के साथ कारोबारी सुगमता के लिए इसकी शुरुआत की थी। इसकी स्थापना री-इंजीनियरिंग के साथ 6 माह से कम समय में कंपनियों के स्वैच्छिक समापन को सुविधाजनक बनाने और रफ्तार देने के लिए की गई थी। पहले एसटीके फॉर्म, जो कंपनियों को हटाने से जुड़ा था वे कंपनियों के रजिस्ट्रार द्वारा निपटाए जाते थे।
संसद में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, इसके शुरू होने के बाद से वित्त वर्ष 2023-24 में सी-पेस के जरिये कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 (2) के तहत 13,560 कंपनियों को हटाया गया। इस साल 5 अगस्त को जारी की गई एक अधिसूचना में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को खत्म करने से संबंधित ई-फॉर्म के प्रसंस्करण के लिए भी सी-पेस को सशक्त बनाया था।
मंत्रालय के मुताबिक, इस साल 15 नवंबर तक सीमित देयता भागीदारी अधिनियम 2008 की धारा 75 के तहत 3,264 एलएलपी को हटा दिया गया है। मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2019-20 से लेकर वित्त वर्ष 2023-24 के बीते पांच वित्त वर्षों के दौरान 2,33,566 कंपनियों को हटा दिया। इनमें एक साल के भीतर कारोबार शुरू नहीं करने जैसे कारण शामिल थे। लोक सभा में कॉरपोरेट कार्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने एक सवाल के जवाब में दी। इस साल 14 नवंबर तक भारत में कुल 27,75,567 कंपनियां पंजीकृत हैं और उनमें से 17,83,418 कंपनियां सक्रिय हैं।