भारत के कारोबारियों को डर है कि अगर अमेरिका को अपने उत्पाद चीन भेजने में कठिनाई आती है तो वह भारत को एक वैकल्पिक केंद्र के रूप में देखेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के फैसले से भारत के कृषि क्षेत्र को राहत मिली है, वहीं आंध्र प्रदेश सरकार ने भारत के समुद्री खाद्य निर्यात पर भारी भरकम शुल्क लगाए जाने से उपजी चुनौतियों के अध्ययन के लिए 16 सदस्यों वाली उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
समिति का गठन अमेरिका द्वारा शुल्क को 90 दिन के लिए रोके जाने के पहले किया गया था, जिसमें समुद्री खाद्य और इससे जुड़ी उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधि के साथ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल किए गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि समिति का एक काम भारत और इक्वाडोर के झींगा (श्रिम्प) उत्पादन के तरीकों और निर्यात का अध्ययन करना है। यह समिति यूरोपीय संघ, चीन और जापान को भारतीय झींगा के निर्यात को बढ़ाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी विचार करेगी।
अमेरिका को होने वाले भारतीय झींगा निर्यात में इक्वाडोर प्रमुख प्रतिस्पर्धियों में से एक बनकर उभरा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 26 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाया, जबकि इक्वाडोर पर 10 फीसदी शुल्क लगाया गया। आंध्र प्रदेश सबसे बड़ी मात्रा में भारत से झींगे का निर्यात करता है।
लेकिन अमेरिका और चीन के बीच शुल्क विवाद के कारण कई जिंस बाजारों में अनिश्चितता बनी हुई है। खासकर उन बाजारों में अनिश्चितता है, जहां इन दोनों देशों का व्यापार अधिशेष है और वे प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं।
उदाहरण के लिए अमेरिका खाद्य तेल, खासकर सोयाबीन तेल का बड़ा निर्यातक है और उसका बड़ा हिस्सा चीन को भेजा जाता है। भारत के कारोबारियों को डर है कि अगर अमेरिका को अपने उत्पाद चीन भेजने में कठिनाई आती है तो वह भारत को एक वैकल्पिक केंद्र के रूप में देखेगा। अमेरिका अन्य बाजारों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सालाना लगभग 1,00,000 से 1,50,000 टन सोयाबीन तेल भारत को बेचने पर विचार कर सकता है।
चीन ने कनाडा की जगह भारत से सरसों की खरीद बढ़ा दी है, क्योंकि कनाडा पर इसने 100 फीसदी का शुल्क लगा दिया है।