प्रौद्योगिकी तेजी से उन उद्योगों को नया आकार दे रही है जिनकी जड़ें लंबे लंबे समय से परंपराओं से जुड़ी रही हैं, नवाचार की एक लहर चला रही है जो वित्त, बैंकिंग, इस्पात से लेकर विनिर्माण तक सब कुछ बदल रही है। इन्वेस्ट कर्नाटक 2025 शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत के शीर्ष युवाओं और उद्यमियों ने कहा कि जैसे-जैसे डिजिटल समाधान और स्वचालन विकसित हो रहे हैं, पारंपरिक कारोबारों को नए अवसरों और चुनौतियों दोनों का सामना करना पड़ रहा है।
‘लीडिंग द चार्ज: यंग इनोवेटर्स शेपिंग इंडियाज फ्यूचर’ शीर्षक वाले सत्र में, (जिसका संचालन जीरोधा के सह संस्थापक निखिल कामत ने किया) इन नेताओं का मानना था कि जो कंपनियां कभी विरासत की प्रणालियों और मैनुअल प्रक्रियाओं पर निर्भर थीं, वे अब प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए एआई जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को अपना रही हैं।
मुथूट पप्पचन समूह की मुथूट हाउसिंग फाइनैंस कंपनी की कार्यकारी निदेशक सुजाना मुथूट ने अंडरराइटिंग, संग्रह, ग्राहक सेवा और ग्रामीण बाजारों तक पहुंचने में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। इसमें निम्न-मध्यम आय वर्ग पर ध्यान केंद्रित करते हुए औपचारिक दस्तावेजों के बिना उधार लेने वालों की ऋण पात्रता का मूल्यांकन शामिल है।
मुथूट ने कहा, मेरा मानना है कि इसने हमारे लिए खेल को पूरी तरह बदल दिया है, क्योंकि यह हमें एक बिल्कुल नए सेगमेंट को लक्षित करने की अनुमति देता है, जिसे अन्य लोगों ने अस्वीकार कर दिया होगा। एआई स्थानीय भाषाओं में संचार को सक्षम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर उन ग्राहकों को शामिल करने में मदद करता है जो अंग्रेजी से अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं।
मुथूट ने बताया कि समूह उन मामलों में क्यूआर आधारित ऋण जैसी तकनीकों का लाभ उठा रहा है, जहां पारंपरिक अंडरराइटिंग संभव नहीं है। उदाहरण के लिए, जब कोई छोटी किराना दुकान शुरू होती है तो कंपनी नकदी प्रवाह का आकलन करने और ऋण प्रदान करने के लिए स्टोर के क्यूआर कोड डेटा का उपयोग करती है।
कोटक 811 के सह-प्रमुख जय कोटक ने कहा, हमने सॉफ्टवेयर लिखने के लिए एलएलएम (बड़ी भाषा मॉडल) का उपयोग करना शुरू कर दिया है। वे बहुत बेहतर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार के अन्य प्रमुख क्षेत्रों में वॉयस टेक्नोलॉजी और ग्राहक सेवा शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंक की भूमिका न्यूनतम संभव लागत पर पूंजी के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करना है, जिसमें ग्राहक सेवा उस लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
जेएसडब्ल्यू सीमेंट लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू पेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स के संस्थापक पार्थ जिंदल ने कहा कि भारी विनिर्माण में एआई का अब तक सीमित उपयोग हुआ है। उनका मानना है कि उच्च श्रम लागत वाले देश खर्च कम करने के तरीके के रूप में एआई और प्रौद्योगिकी का पता लगाने के लिए अधिक प्रेरित हैं।
जिंदल ने कहा, मेरा मानना है कि भारत में एआई हमारे लिए एक खतरनाक उपकरण हो सकता है, क्योंकि हमें हर साल लाखों नौकरियां पैदा करने की जरूरत है। जब चर्चा इस बात पर केंद्रित होती है कि एआई कार्यस्थल और अन्य क्षेत्रों में नौकरियों को खत्म कर देगा, तो मुझे नहीं लगता कि इससे भारत को फायदा होगा।
लैम रिसर्च की 10,000 करोड़ रुपये निवेश की योजना
अमेरिका की लैम रिसर्च ने अगले कुछ वर्षों में कर्नाटक में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह घोषणा लैम रिसर्च में ग्लोबल प्रोडक्ट्स ग्रुप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एस वरदराजन ने इन्वेस्ट कर्नाटक 2025 में की। लैम रिसर्च एक अमेरिकी कंपनी है, जो सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए आवश्यक उपकरण विकसित करती है। इन उपकरणों का उपयोग वेफर प्रोसेसिंग और सेमीकंडक्टर उपकरणों की वायरिंग में किया जाता है। यह घोषणा और निवेश कर्नाटक के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में एक बहुत बड़ा योगदान है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यह इन रणनीतिक क्षेत्रों में कर्नाटक के आत्मविश्वास और क्षमता को दर्शाता है।
लैम रिसर्च ने कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत केआईएडीबी के स्वामित्व वाली एक भूमि को नियोजित निवेश के लिए चिन्हित किया जाएगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस बात पर जोर दिया कि यह निवेश कर्नाटक को वैश्विक सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के केंद्र में पहुंचाता है।
जापानी कंपनियां करेंगी 7,500 करोड़ रुपये का निवेश
जापान की 15 प्रमुख कंपनियों ने कर्नाटक में बड़े निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। इन्वेस्ट कर्नाटक 2025 समिट के अधिकारियों का कहना है कि इन कंपनियों ने करीब 7,500 करोड़ रुपये के निवेश के समझौते किए हैं। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर ने 3,748 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।
एनआईडीईसी इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन इंडिया ने 600 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। मित्सुबिशि हैवी इंडस्ट्रीज 107 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
छोटे राज्यों पर दांव जरूरी : मोंटेक
अर्थशास्त्री और तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए बड़े राज्यों को विभाजित किए जाने पर जोर दिया है। उनका कहना है कि इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कर्नाटक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में अपने विचार साझा करते हुए कहा, ‘हमें अधिक शहरीकरण और ज्यादा शहरों की आवश्यकता है और हमारा ध्यान टियर-2 शहरों को महानगरों के निकट विकसित करने पर होना चाहिए।’ हालांकि अहलूवालिया ने कहा कि मौजूदा राज्यों में नए शहरों का निर्माण करना चुनौतीपूर्ण है। ये चुनौतियां राजनीतिक और आर्थिक दोनों हो सकती हैं।