देश में लंबे समय से प्रतीक्षित कोयला गैसीकरण परियोजनाओं के वित्तीय प्रोत्साहन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने 3 श्रेणी में गैसीकरण की परियोजनाओं के लिए 8,500 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।
पहली श्रेणी की परियोजनाओं के लिए 4,050 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) की 3 परियोजनाएं होंगी, जिन्हें मोटे तौर पर 1,350 करोड़ रुपये या इनके पूंजीगत व्यय का 15 प्रतिशत मिलेगा, इसमें से जो भी कम हो।
दूसरी श्रेणी में सरकारी व निजी दोनों परियोजनाएं होंगी, जिनके लिए 3,850 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इस योजना में प्रत्येक परियोजना को मोटे तौर पर 1,000 करोड़ रुपये या पूंजीगत व्यय का 15 प्रतिशत मिलेगा, जो कम हो।
कम से कम एक परियोजना शुल्क आधारित बोली प्रक्रिया के तहत होगी और इसका मानदंड नीति आयोग के परामर्श से तय किया जाएगा। तीसरी श्रेणी में प्रदर्शन परियोजनाओं (स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर आधारित) और/या छोटे पैमाने के उत्पाद पर आधारित गैसीकरण संयंत्रों को शामिल किया गया है।
इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा 600 करोड़ रुपये मुहैया कराया गया है। इसके तहत मोटे तौर पर एक परियोजना को 100 करोड़ रुपये या परियोजना पर कुल पूंजीगत व्यय का 15 प्रतिशत मिलेंगे, जो भी कम हो।
मंत्रिमंडल के फैसलों के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘कोयला क्षेत्र 2030 तक 10 करोड़ टन कोयले के गैसीकरण करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्यों के मुताबिक काम कर रहा है।
इसी के अनुरूप राष्ट्रीय गैसीकरण मिशन के तहत स्वदेशी तकनीक से रासायनिक उत्पाद व उनके डेरिवेटिव्स के उत्पादन की परिकल्पना की गई है।’
कोयले के गैसीकरण में खनन प्रक्रिया के दौरान कोयले से मीथेन निकाला जाना और इसका इस्तेमाल वाणिज्यिक मकसद से करना शामिल है। कोयले के गैसीकरण की योजना पर 15 साल से ज्यादा समय से काम किया जा रहा है, लेकिन इस पर कोयला और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के बीच राजस्व साझा करने को लेकर खींचतान भी रही है।
बहरहाल अब दायरा स्पष्ट रूप से तय हो गया है और कोयला पीएसयू कोयला गैसीकरण परियोजनाओं की योजना बना रहे हैं। इसके लिए केंद्र को व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण के अनुरोध मिले।
राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने विनिर्माण दिग्गज भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल)और सरकारी गैस कंपनी गेल लिमिटेड के साथ कोयले के गैसीकरण व उसकी आपूर्ति के लिए संयुक्त उद्यम बनाया है।
जोशी ने कहा, ‘आज की बैठक में मंत्रिमंडल ने सीआईएल, गेल और भेल के बीच संयुक्त उद्यम बनाकर कोयला से रासायनिक उत्पाद बनाने के 2 संयंत्रों को मंजूरी दी है। मुझे आपको बताते हुए खुशी हो रही है कि 2 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और इन्हें 2028-29 तक पूरा कर लिया जाएगा।’
मंत्री ने यह भी कहा कि इस पहल से भारत के आयात खर्च में कमी आएगी।