टाटा पावर कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी प्रवीर सिन्हा ने कहा कि बिजली क्षेत्र को अगले पांच वर्षों में 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत
BS Infra Summit 2025: भारत को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में वृद्धि के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद जैसे निकाय की जरूरत है। यह बात टाटा पावर कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने कही। उन्होंने कहा कि भारत को भविष्य में दो अंकों की वृद्धि दर हासिल करने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिए जमीन अधिग्रहण की मंजूरी, बिजली और पानी जैसे क्षेत्रों में राज्यों और केंद्र के बीच जीएसटी परिषद जैसे साझा मंच की आवश्यकता है।
गुरुवार को दिल्ली में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर समिट 2025 में सिन्हा ने कहा कि प्रक्रिया संबंधी और नियामकीय बाधाओं को दूर करने के लिए कई नीतिगत हस्तक्षेप जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि देश के बिजली उद्योग को अगले पांच वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये की दरकार है। सिन्हा ने कहा कि इस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6 से 7 फीसदी है। मगर देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में और अधिक प्रोत्साहन के जरिये इसे करीब 8 से 10 फीसदी तक किया जा सकता है। उनका मानना है कि यह तब भी जरूरी है जब भारत अगले 10 से 20 वर्षों तक सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
कार्यक्रम के दौरान सिन्हा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है-तेज गति से कानून बनाने होंगे और उसी रफ्तार से उन कानूनों को लागू किया जाना है ।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे पास एक शानदार उदाहरण साझा जीएसटी परिषद का है। संभवतः आपको भूमि अधिग्रहण की मंजूरी, बिजली, पानी के लिए भी इसी तरह की एक परिषद की जरूरत होगी और तभी हम उस तेज गति को देख पाएंगे, जिससे हम देश में बदलाव ला सकते हैं।’
सिन्हा के मुताबिक बिजली क्षेत्र में भारत का प्रदर्शन शानदार रहा है। सन् 2000 में भारत की स्थापित क्षमता 100 गीगावॉट थी जो अब बढ़कर 490 गीगावॉट हो गई है। उनकी राय में सौर ऊर्जा क्षेत्र में भी ऐसा ही सुधार दिख रहा है और जहां 2030 तक कुल 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य है। यह क्षेत्र दस साल पहले 2015 में 5 गीगावॉट था जो 2025 में बढ़कर 115 गीगावॉट हो गया और 2030 तक इसके 290 गीगावॉट हो जाने की उम्मीद है। अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी अब 50 फीसदी है।
सिन्हा ने कहा कि यह बहुत बड़ा सुधार है। मगर चीन के मुकाबले यह वृद्धि कफी कम है। पिछले साल जब भारत ने 30 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा जोड़ी तब चीन ने 400 गीगावॉट जोड़ी थी। उन्होंने कहा, ‘इस साल शुरुआती छह महीनों में चीन ने 212 गीगावॉट ऊर्जा जोड़ी है। इस तरह से क्षमता संवर्धन हो रहा है। यह होता है परिवर्तन और कायापलट। हम 490 गीगावॉट की बात कर रहे हैं और वे 2,500 गीगावॉट की बात करते हैं। आबादी के लिहाज से हम कुछ हद तक एक जैसे ही हैं। कोई कारण नहीं कि हमें शऐ क्यों नहीं करना चाहिए।’
नियामकीय बाधाओं का जिक्र करते हुए सिन्हा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इनमें से कुछ बाधाओं को तुरंत दूर करने की जरूरत है। हम ऐसी अर्थव्यवस्था नहीं बना सकते जो कानूनी और नियामकीय ढांचे के समर्थन के बिना तेजी से फलती-फूलती रहे और बढ़ती रहे।’
रकम जुटाने की जरूरतों के बारे में सिन्हा ने कर्ज की कम लागत की वकालत की क्योंकि देश में दुनिया में सबसे ऊंची दरों में से है। उन्होंने बीमा क्षेत्र के लिए रकम जुटाने, इक्विटी होल्डिंग अथवा ऋण की प्रतिबंधों में ढील की भी वकालत की। उन्होंने कहा, ‘कनाडा और यूरोप तथा ब्रिटेन के अन्य लोग भी यहां फंडिंग के लिए आते हैं। हमारी बीमा कंपनियों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है और उनके पास काफी नकदी है। मुझे लगता है कि कुछ माध्यम खोलने की जरूरत है।’