श्नाइडर इलेक्ट्रिक अगले कुछ वर्षों में वैश्विक औद्योगिक स्वचालन कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार कर रही है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार यह हिस्सेदारी अभी 10 प्रतिशत से कम है। श्नाइडर इलेक्ट्रिक की कार्यकारी उपाध्यक्ष (औद्योगिक स्वचालन) बारबरा फ्रेई ने उम्मीद जताई कि भारत के जल, परिवहन, खनन, ऊर्जा और खाद्य एवं पेय पदार्थ क्षेत्रों में वृद्धि से इन स्वचालन समाधानों की मांग बढ़ेगी।
बारबरा ने कहा ‘मैं स्पष्ट रूप से कहूंगी कि भारत में औद्योगिक स्वचालन कारोबार 25 प्रतिशत या उससे अधिक होना चाहिए। इसलिए वास्तव में यही लक्ष्य है।’ उन्होंने इसके लिए कोई समयसीमा नहीं बताई, लेकिन उम्मीद है कि यह पांच से सात साल से कम समय में पूरा हो जाएगा।
साल 2020 श्नाइडर इलेक्ट्रिक ने लार्सन ऐंड टुब्रो के इलेक्ट्रिक और ऑटोमेशन कारोबार की खरीद पूरी की थी। इसका 14,000 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया गया था। उस अनुभाग को अब लॉरिज नुडसेन इलेक्ट्रिकल ऐंड ऑटोमेशन के रूप में रीब्रांड किया गया है। श्नाइडर की भारत की योजनाओं में इस अनुभाग का भविष्य में और विकास करना भी शामिल है। बारबरा ने कहा ‘अधिग्रहित अनुभाग छोटा हिस्सा है, लेकिन बहुत अच्छा हिस्सा है। यह अभी इतना बड़ा नहीं है, लेकिन हमारी योजना इसे बढ़ाने की है। यह और ज्यादा योगदान देगा।’
कुछ प्रक्रियाओं के विद्युतीकरण के लिए बड़े ड्राइव (विद्यतु शाक्ति को यांत्रिक शक्ति में बदलने में सहायता के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण) की आवश्यकता होती है और लॉरिट्ज नुडसेन ब्रांड उन क्षेत्रों में अच्छी आपूर्ति करेगा। भारत में आगे और अधिग्रहण की संभावना पर बारबरा ने कहा कि कंपनी संभावना वाली परिसंपत्तियों के मामले में हमेशा ही सक्रिय रूप से विचार करती है।
बारबरा ने कहा कि भारत में कंपनी का 70 प्रतिशत से अधिक कारोबार निर्यात पर आधारित है। उन्होंने कहा कि वे भारत में और अधिक बिक्री करना चाहेंगे जबकि निर्यात और घरेलू बिक्री का अनुपात 70 और 30 बना रहेगा। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार श्नाइडर इलेक्ट्रिक के मामले में रफ्तार के लिहाज से भारत चीन के बाजार की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।
उद्योग के अन्य अधिकारियों की चिंताओं की तरह ही बारबरा ने भी मानव संसाधन जुटाने को भारत में मुख्य चुनौती बताया। उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम प्रतिभा विकास का प्रयास कर रहे हैं। हमारा इरादा और ज्यादा वैश्विक प्रतिभाओं को भारत लाने का भी है। उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और यूरोप वगैरह से मध्य-प्रबंधन और विशेषज्ञता-स्तर की कौशल वाली प्रतिभाओं को लाया जा सकता है।