आईटी और बीपीओ सेवा प्रदाता कंपनी एम्फेसिस के प्रबंधन में बीते वर्षों में कई बदलाव देखे गए। बिजनेस स्टैंडर्ड के बिभु रंजन मिश्र ने कंपनी के नवनियुक्त सीईओ गणेश अय्यर और अंतरिम सीएफओ सुशांतो बनर्जी से बात की।
ईडीएस और एचपी के मिलने से एम्फेसिस के कितने कर्मचारी प्रभावित होंगे?
गणेश अय्यर : दूसरी कंपनी के बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा। एचपी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है; न केवल ग्राहक के लिहाज से बल्कि पार्टनर के लिहाज से भी। इस कंपनी के साथ हमारा 45 फीसदी का कारोबार है।
जनवरी की तिमाही में नए ग्राहकों का कंपनी के साथ जुड़ाव संतोषजनक नहीं रहा है?
गणेश अय्यर : बीती तिमाही में कंपनी के साथ नौ नए ग्राहक जुड़े, जो लगभग पिछली तिमाही जितनी है। ग्राहकों की वृद्धि दर में बगैर किसी वृद्धि के कंपनी का राजस्व यदि इतना बढ़ा तो इसका मतलब है कि हम मौजूदा ग्राहकों के साथ अपने रिश्ते लगातार मजबूत कर रहे हैं।
क्या इसका मतलब यह कि कोई भी मौजूदा ग्राहक कंपनी नहीं छोड़ रहा है?
गणेश अय्यर : यदि कुछ ग्राहक कंपनी की सेवाएं लेना बंद करते भी हैं तो इसकी भरपाई हो गई। एम्फेसिस एक मजबूत कंपनी है और इसके दीर्घकालीन पार्टनर हैं। हां यदि कोई कंपनी मौजूदा मंदी से जूझ रही हो तो उसे हक है कि वह अपने खर्चों में कटौती करे। इसका यह मतलब भी हुआ कि हमारे पास ग्राहकों के मदद के अनेक तरीके हैं। मंदी के बावजूद हम अपने ग्राहकों को कंपनी के साथ जोड़े रखने में सफल रहे।
मंदी से बुरी तरह प्रभावित वे कौन-कौन से क्षेत्र हैं जहां से मांग कम हुई है?
गणेश अय्यर : बीपीओ, इंफ्रास्ट्रक्चर और कंप्यूटर एप्लीकेशन-इन तीन क्षेत्रों में हमारा दबदबा है। और इन सब ने तरक्की की है। इनमें से कुछ ने दूसरे की तुलना में तेज तरक्की की है।
सुशांतो बनर्जी : हेल्थकेयर और दूरसंचार क्षेत्र पर असर पड़ा है। निर्माण क्षेत्र की बात करें तो यहां कुछ उतार-चढ़ाव हुआ है। वैसे ऑटोमोटिव सेक्टर पर सबसे ज्यादा असर दिख रहा है।
पर आपका बीपीओ कारोबार लगातार सिकुड़ता जा रहा है?
सुशांतो बनर्जी : ऐसा दो वजहों से हो रहा है। यूरोपीय ग्राहकों से होने वाली हमारी आमदनी रुपये के मजबूत होने से थोड़ी घटी है। दूसरा कारण यह कि इस क्षेत्र के कई ग्राहकों ने अपना कारोबार घटाया है।
