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Chat GPT के जवाब में गूगल सर्च से 10 गुना ज्यादा बिजली की खपत, डेटा सेंटरों में अक्षय ऊर्जा का निवेश बढ़ा

डेटा सेंटरों की बढ़ती बिजली खपत पर उद्योग का ध्यान, योट्टा और कंट्रोलएस जैसी कंपनियां अक्षय ऊर्जा पर फोकस बढ़ा रहीं

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जेडेन मैथ्यू पॉल   
Last Updated- August 09, 2024 | 11:39 PM IST

गोल्डमैन सैक्स के एक अध्ययन में कहा गया है कि चैट जीपीटी के किसी सवाल के लिए गूगल सर्च की तुलना में करीब 10 गुना ज्यादा बिजली की जरूरत होती है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की बढ़ती रफ्तार और एआई वर्कलोड की जरूरत पूरी करने के लिए डेटा सेंटर की संख्या बढ़ रही है। इससे विश्लेषकों लगता है कि डेटा सेंटरों की बिजली की खपत बढ़ सकती है।

उद्योग के जानकारों का मानना है कि बिजली के पारंपरिक स्रोत हर साल महंगे होते जा रहे हैं और उनमें से अधिकतर बिजली के वैकल्पिक स्रोतों में निवेश करेंगे। कुछ लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें लगता है कि उनका अक्षय ऊर्जा उपयोग कुल ऊर्जा जरूरतों का 80 फीसदी तक हो जाएगा। डेटा सेंटर किसी राज्य में वाणिज्यिक दरों पर बिजली खरीदते हैं और आमतौर पर वह दर उच्चतम स्लैब में होती है।

हीरानंदानी समूह के डेटा सेंटर योट्टा का लक्ष्य अगले तीन से पांच वर्षों में अपनी 80 फीसदी से अधिक बिजली अक्षय ऊर्जा से हासिल करने का है। इसी तरह हैदराबाद के कंट्रोलएस ने साल 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के जरिये 100 फीसदी बिजली हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

योट्टा में उपाध्यक्ष (कोलोकेशन ऐंड डीसी बिल्ड) रोहन शेठ ने कहा, ‘हालिया बिजली की मांग में वृद्धि पर डेटा सेंटरों को तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, जो एक साल पहले के मुकाबले 4.4 फीसदी बढ़कर 139 अरब यूनिट हो गई और वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में बिजली उत्पादन क्षमता में महज 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। डेटा सेंटरों को वैकल्पिक स्रोतों और मॉडल पर ध्यान देना होगा ताकि संचालन निर्बाध तरीके से जारी रह सके।’

शेठ ने बताया कि फिलहाल योट्टा के डेटा सेंटर को 30 फीसदी बिजली ग्रीन एनर्जी के स्रोतों से मिलती है जिसे वे अगले कुछ वर्षों में 60 फीसदी तक बढ़ाना चाहते हैं। फिलहाल कंपनी अपनी नवीकरणीय ऊर्जा हाइड्रो और सोलर संयंत्र से प्राप्त करती है।

फिलहाल डेटा सेंटरों के लिए बिजली का मुख्य स्रोत सरकारी बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से मिलने वाली बिजली है, जो मुख्यतः कोयला और ताप बिजली होती है। डेटा सेंटर अपनी खुद की नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने में निवेश कर रहे हैं, जिसे बाद में सरकारी पावरग्रिड को भेजा ता है। इससे कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि उन्हें अपने संचालन के लिए निर्बाध बिजली मिलती रहे।

देश में स्थापित होने वाली हर डेटा सेंटर के साथ कंपनियां अपनी ग्रीन एनर्जी में निवेश करती हैं। कोलियर्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डेटा सेंटर की कुल बिजली क्षमता 778 मेगावॉट है।

First Published : August 9, 2024 | 10:35 PM IST