हच का अधिग्रहण केवल वोडाफोन ही नहीं बल्कि एस्सार के लिए भी मुसीबत बनने जा रहा है। दरअसल आयकर विभाग ने इस मामले में वोडाफोन पर तो भारी भरकम जुर्माना ठोक ही दिया था, अब एस्सार को भी वह लपेटे में लेने जा रहा है।
विभाग ने मई 2007 में हच के अधिग्रहण के लिए हुए सौदे की जांच का दायरा अब बढ़ा दिया है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक हच और वोडाफोन के बीच हुए वास्तविक समझौते के अलावा कई और मुद्दों पर विभाग ने वोडाफोन से विस्तृत जानकारी और सफाई तलब की है। उन्हीं के आधार पर विभाग तय करेगा कि कंपनी पर कितनी कर देनदारी है।
यह कदम उच्चतम न्यायालय के इसी साल जनवरी के उस आदेश के आधार पर उठाया जा रहा है, जिसमें अदालत ने मार्च के अंत तक कंपनी को जवाब देने का निर्देश दिया था। दिलचस्प है कि जो जानकारी कंपनी से मांगी गई है, उसमें एस्सार का भी जिक्र है, जो संयुक्त उपक्रम में हच की साझेदार थी।
इस सौदे में एस्सार की भूमिका के बारे में भी वोडाफोन से पूछा गया है। विभाग ने एस्सार की मॉरीशस में स्थित कंपनी एस्सार ग्लोबल को 1,600 करोड़ रुपये का भुगतान किए जाने पर भी सफाई मांगी है। यह रकम वोडाफोन ने शेयर खरीद के प्रथम अधिकार का इस्तेमाल नहीं करने के एवज में कंपनी को दी थी।
सूत्रों के मुताबिक एस्सार भारत की कंपनी है, फिर भी यह भुगतान मॉरीशस में क्यों किया गया, इसी बात की जांच चल रही है। कर अधिकारी मानते हैं कि पूंजीगत लाभ कर से बचने के लिए ही ऐसा किया गया क्योंकि भारत और मॉरीशस के बीच हुए समझौते के मुताबिक यह कर मॉरीशस में ही चुकाना होगा और वहां यह कर नहीं लगता है।
आयकर विभाग ने कर देयता के बंटवारे के सिलसिले में भी हच और वोडाफोन का समझौता तलब किया है। हालांकि विभाग को इस बारे में जानकारी है, लेकिन उसके मुताबिक कंपनी की ओर से उसे इसका ब्यौरा चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक वोडाफोन-एस्सार उच्चतम न्यायालय की ओर से मिली समय सीमा खत्म होने पर एक बार फिर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती हैं।
इस बारे में पूछे जाने पर वोडाफोन समूह के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम आयकर विभाग का पूरा सहयोग कर रहे हैं और नई जानकारी भ्ीा उसमें शामिल है। वोडाफोन को उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के मुताबिक अधिकार क्षेत्र तय करने में विभाग को इससे मदद मिलेगी।’
कर की देनदारी कंपनी पर इसीलिए बनती है क्योंकि विभाग मानता है कि केमैन आईलैंड की कंपनी सीजीपी इनवेस्टमेंट लिमिटेड के जरिये हचीसन टेलीकॉम से हच में हिस्सेदारी खरीदने का वोडाफोन का कदम पूंजीगत लाभ कर से बचने की कवायद था।
इसके अलावा वोडाफोन ने हच का वह दूरसंचार बुनियादी ढांचा खरीदा है, जो भारत में है। इसी वजह से विभाग ने वोडाफोन और एस्सार से हरेक पहलू की जानकारी मांगी है। इस सौदे से पहले हच में हिस्सेदारी रखने वाली विदेशी कंपनियों पर भी विभाग की नजर है।
इसमें हच की वे विदेशी कंपनियां भी शामिल हैं, जो अधिग्रहण होने के बाद वोडाफोन में शामिल हो गई थीं। इसके अलावा एस्सार द्वारा लिए गए तमाम कर्जों पर वोडाफोन ने जो गारंटी दी है, आयकर विभाग ने उसे भी जांच में शामिल किया है।
विभाग ने नोटिस में छोटी हिस्सेदारी रखने वाली कंपनियों और दूसरे शेयरधारकों का भी ब्यौरा मांगा है। इन छोटे शेयरधारकों में मैक्स इंडिया और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनैंस कॉर्पोरेशन के प्रवर्तक अनलजीत सिंह तथा असीम घोष भी शामिल हैं।
आयकर विभाग ने बढ़ा दिया हच अधिग्रहण की जांच का दायरा
एस्सार को भी कर लिया कर देनदारी की जांच में शामिल
मॉरीशस की एस्सार ग्लोबल को 1,600 करोड़ रुपये के भुगतान की भी हो रही है जांच
विभाग के मुताबिक पूंजीगत लाभ कर से बचने की कवायद
वोडाफोन से कई मसलों पर मांगे ब्यौरे और सफाई