हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का शेयर गुरुवार को 4.55 प्रतिशत चढ़ गया। कंपनी ने विभिन्न समस्याओं के बावजूद मार्च तिमाही में अनुमान से बेहतर प्रदर्शन दर्ज किया। यह शेयर सेंसेक्स और नि टी में सबसे ज्यादा चढऩे वालो शेयरों में शामिल रहा। शुक्रवार को भी इस शेयर में करीब 4 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
बाजार वित्तवर्ष 2022 में इस कंपनी की बाजार भागीदारी बढऩे से भी उत्साहित। तेजी बरकरार रहने को लेकर प्रबंधन का भरोसा, मार्जिन में हो रही वृद्घि और ग्रामीण बाजारों में सुधार की उ मीद से भी इस शेयर को र तार मिली है।
इस तेजी के लिए अल्पावधि मदद चौथी तिमाही में सभी मानकों पर किया गया अच्छा प्रदर्शन और मांग से संबंधित समस्याओं के बावजूद वृद्घि दर्ज करना है। जेएम फाइनैंशियल के रिचर्ड लियू और सुमन्यू सराफ का कहना है, ‘बाहरी परिवेश (कमजोर मांग के साथ साथ ऊंची उत्पादन लागत के दबाव) को देखते हुए एचयूएल मजबूत आय दर्ज करने में सक्षम रही है, और वह वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में अपने व्यवसाय पर प्रबंधन के मजबूत नियंत्रण और वित्तीय स्थिति को साबित करने में कामयाब रही।’
ग्रामीण मंदी के बावजूद डिस्क्रेशनरी श्रेणियों में प्रदर्शन अच्छा रहा और कंपनी सपाट बिक्री वृद्घि प्रदर्शन दर्ज करने में सक्षम रही थी, जबकि बाजार ने 3-4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था। बिक्री वृद्घि भी कम यूनिट वाले पैक के वजन में कमी से प्रभावित हुई, जिनकी कुल बिक्री में 30 प्रतिशत योगदान है। बिक्री सपाट बने रहने से, राजस्व वृद्घि काफी हद तक कीमत वृद्घि की वजह से दर्ज की गई। कंपनी ने चाय, कच्चे तेल से संबंधित उत्पादों और पाम तेल की लागत में भारी वृद्घि से मुकाबले के लिए 10 प्रतिशत तक कीमत वृद्घि की। ऊंचे दबाव के बीच कीमत वृद्घि को देखते हुए, मुनाफे पर प्रभाव पड़ा है। सकल मार्जिन सालाना आधार पर 331 आधार अंक घटकर 49.5 प्रतिशत रह गया।
हालांकि मार्जिन सकल स्तर पर प्रभावित हुआ है, लेकिन परिचालन स्तर पर प्रभाव 30 आधार अंक था। बिक्री के मुकाबले विज्ञापन खर्चों में 220 आधार अंक की गिरावट और लागत कटौती की पहलों से जिंस महगाई के प्रभाव को दूर करने में मदद मिली। कंपनी ने संकेत दिया है कि मार्जिन पर अगली कुछ तिमाहियों में दबाव पड़ेगा।
फिलिपकैपिटल रिसर्च के विशाल गुटका का कहना है, ‘हमारा मानना हे कि एचयूएल ने अल्पावधि में सही रणनीति अपनाई है और इससे मार्जिन घट सकता है, लेकिन साथ ही विभिन्न श्रेणियों में बदलाव से बाजार भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी और साथ ही कंपनी को अपनी नेतृत्व स्थिति मजबूत करने में भी मदद मिलेगी।’
अनुमानों से बेहतर प्रदर्शन के बावजूद अल्पावधि में कई समस्याएं भी दिख रही हैं जिनका कंपनी के शेयर पर दबाव पड़ सकता है। मोतीलाल ओसवाल रिसर्च के विश्लेषक कृष्णन संबामूर्ति का कहना है, ‘दो कारकों की वजह से पिछले दो वर्षों के दौरान कंपनी की आय वृद्घि (जीएसके को छोड़कर) प्रभावित हुई और वे थे ऊंची उत्पादन लागत तथा अनुमान से कम कीमत वृद्घि। इन दोनों कारकों का कंपनी के वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही के आय प्रदर्शन में दबाव दिख सकता है।’
मार्जिन के अलावा, बाजार की नजर ग्रामीण बाजार के मांग परिदृश्य पर भी लगी रहेगी।