लवासा की दौड़ से हटी हल्दीराम, ओबेरॉय

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:55 AM IST

कोरोना महामारी के कारण रियल एस्टेट की कीमतों में गिरावट का हवाला देते हुए हल्दीराम स्नैैक्स प्रा. लि. और ओबेरॉय रियल्टी सहित प्रमुख बोलीदाता लवासा कॉर्पोरेशन खरीदने की दौड़ से पीछे हट गए हैं।
निर्माण क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एचसीसी की सहायक इकाई लवासा ने नकदी संकट के कारण बैंकों को 7,700 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की थी। इस कारण से ऋणदाताओं ने 2018 में ऋण समाधान के लिए कंपनी को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) में भेज दिया था। ऐक्सिस बैंक ने कंपनी पर सबसे ज्यादा 1,266 करोड़ रुपये का दावा किया था।
बैंकिंग सूत्रों के अनुसार कोरोना के कारण रियल एस्टेट की मांग घट गई है और कंपनियां भी अपनी नकदी बचाने में लगी हैं। घटनाक्रम के जानकार एक शख्स ने बताया कि महानगरों में रियल एस्टेट के कोई लिवाल नहीं हैं और इस नए पहाड़ी शहर में निवेश के लिए ग्राहकों को आकर्षित करने में अभी कुछ साल और लग सकते हैं।
एचसीसी ने वर्ष 2000 में लवासा कॉर्पोरेशन का गठन किया था और पुणे के समीप एक शानदार हिल स्टेशन पर शहर बसाने की योजना बनाई थी। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2010 में परियोजना का काम रोकने के आदेश से कंपनी बैंक के कर्ज भुगतान में चूक करने लगी। उसके बाद से ही यह शहर वीरान पड़ा है और सप्ताहांत में कुछेक पर्यटक जरूर यहां घूमने आते हैं। कोविड के बाद सप्ताहांत में घूमने आने वाले लोगों ने भी यहां आना बंद कर दिया है।
इस परियोजना में मकान बुक कराने वाले कई खरीदार अभी कब्जा मिलने का इंतजार कर रहे हैं या एनसीएलटी की कार्यवाही में शामिल हैं। खरीदारों को ऋणदाताओं की समिति में भी शामिल किया गया है। जिन लोगों को अपने मकान मिल चुके हैं, वे भी यहां से चले गए हैं। बैंकों ने जब पहली बार लवासा के लिए बोलियां मंगाईं थीं तब कई कंपनियों ने बोली लगाई थी। इनमें हल्दीराम स्नैक्स, ओबेरॉय रियल्टी, यूवी एआरसी आदि शामिल थे।
बाद में बैंकों ने लवासा के लिए एकीकृत इकाई के तौर पर बोलियां मंगाने का निर्णय किया। लवासा के साथ कई संबंधित पक्षों के लेनदेन की जानकारी मिलने के बाद इस साल जून में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा कंपनी के खातों की फॉरेंसिक ऑडिट कराने की मांग की। इससे ऋण समाधान प्रक्रिया में और देरी हो सकती है। ये इकाइयां लवासा को कैप्टिव पावर मुहैया कराने के साथ ही बुनियादी परिवहन सेवा, रिटेल, कन्वेंशन सेंटर आदि का परिचालन कर रही थीं। एक अन्य इकाई लक्जरी होटल का परिचालन कर रही थी।
एसबीआई ने कहा कि कुछ लेनदेन इतने जटिल हैं कि ऋणदाताओं की समिति के लिए इनके आपस में जुड़े होने का पता लगाना कठिन होगा। इसीलिए एसबीआई ने इनके खाते की फॉरेंसिक जांच की मांग की थी।

First Published : September 15, 2020 | 11:29 PM IST