अपनी एयरपोर्ट होल्डिंग कंपनी में 80 प्रतिशत हिस्सा कनाडा की पीएसपी, एडीआईए और एनआईआईएफ को बेचने में 10 महीने से हो रही देर से जीवीके समूह नाराज हो गया था। नाराजगी के कारण ही उसने पिछले दो हफ्तों में अदाणी समूह के साथ बातचीत शुरू करने का फैसला किया ताकि वित्तीय संकट जल्द से जल्द टाला जा सके। जीवीके समूह के ऋणदाताओं ने भी उस पर अदाणी से बातचीत का दबाव डाला क्योंकि मॉरेटोरियम की अवधि अगस्त में खत्म हो रही थी।
कोरोना महामारी की वजह से जीवीके की मुंबई हवाई अड्डïा परिसंपत्तियों का वित्तीय प्रदर्शन लगातार गिर रहा था। इससे मजबूर होकर भी उसने अदाणी समूह के साथ बातचीत शुरू की। इस सौदे से जुड़े एक बैंकर ने कहा, ‘अदाणी समूह ने न सिर्फ 5,000 करोड़ रुपये मूल्य वाली जीवीके एयरपोर्ट के ऋण खरीदने की पेशकश की बल्कि उसने मायल (मुंबई इंटनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड) का 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज अपने सिर पर लेने और नवी मुंबई हवाई अड्डा परियोजना में निवेश करने की बात भी कही ताकि अटकी परियोजना बढ़ सके। इसी भरोसे पर जीवीके ने अदाणी के साथ सौदा किया।’
अदाणी समूह ने जनवरी 2019 में मायल शेयरधारकों के समक्ष अपनी पेशकश रखी थी और जवाब का इंतजार कर रहा था। बैंकर ने बताया कि इन निवेशकों में से सिर्फ बिडवेस्ट और एसीएसए (एयरपोर्ट कंपनी ऑफ साउथ अफ्रीका) ने मायल में 23.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन इनकार के प्रथम अधिकार को लेकर जीवीके द्वारा शुरू की गई कानूनी लड़ाई से बिडवेस्ट और अदाणी के बीच सौदे में विलंब हो गया था।
पिछले साल अक्टूबर में जीवीके ने एयरपोर्ट होल्डिंग कंपनी में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी 7,614 करोड़ रुपये में अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और कनाडा की पीएसपी को बेचने के लिए समझौता किया था, जिससे मायल और उसकी सहायक इकाई नवी मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट का प्रभावी नियंत्रण नए निवेशकों के हाथ में चला गया। जीवीके के समान तर्क को ध्यान में रखते हुए बिडवेस्ट और एसीएसए तब अदालत चली गई थीं, क्योंकि इनका का पहलला अधिकार उन्हें नहीं दिया गया। इससे कानूनी गतिरोध चलता रहा।
कोविड-19 महामारी ने बाजी अदाणी समूह के पक्ष में कर दी क्योंकि मुंबई हवाई अड्डïे समेत दुनिया भर के हवाई अड्डे बंद हो गए। जीवीके के एक सूत्र ने कहा कि कंपनी के पास नकदी प्रवाह नहीं रह गया और जुलाई से कर्मियों को वेतन देने में भी दिक्कत होने लगी। उधर अदाणी समूह और जीवीके के बीच बातचीत से अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी, एनआईआईएफ और पीएसपी खफा हो गए थे और उन्होंने भारत सरकार से शिकायत की कि जीवीके अपने वादे से पीछे हट रही है।