ऐसे समय पर जब निजी क्षेत्र की विद्युत कंपनियां जोर शोर से अपने ऋण स्तर में कमी ला रही हैं तब देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी एनटीपीसी और सरकारी क्षेत्र की एनएचपीसी ने अपनी पूंजी खर्च जरूरतों के कारण और उपयुक्त बही खाता के दम पर इसे प्राथमिकता में नहीं रखा है।
एनटीपीसी ने 26 अप्रैल, 2021 को बताया था कि उसने पिछले वित्त वर्ष का समापन 1,15,758 करोड़ रुपये की बकाये स्टैंडएलोन उधारी से किया था जो 31 मार्च, 2020 के 1,52,694 करोड़ रुपये से 24 फीसदी कम है। हालांकि, इस आंकड़े में बॉन्डों और सिंडीकेट ऋणों के जरिये ली गई बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी) शामिल नहीं है जो एनटीपीसी के कुल दीर्घकालिक ऋण के 28 फीसदी से अधिक है।
वित्त वर्ष 2021 में नए ऋण 25,855.50 करोड़ रुपये के थे जो वित्त वर्ष 2020 के 28,775.62 करोड़ रुपये से 10 फीसदी कम है। एनटीपीसी को वित्त वर्ष 2020 में टीएचडीसी इंडिया और नीपको में सरकारी हिस्सेदारी खरीदने के लिए 11,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़े। 2020-21 में ऋण का उपयोग मुख्य तौर पर पूंजीगत व्यय की फंडिंग के साथ साथ उच्च लागत वाले ऋण के पुनर्भगतान के लिए किया गया।
जल विद्युत क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एनएचपीसी के दीर्घकालिक ऋण में पिछले तीन वर्षों में 4,302 करोड़ रुपये की वृद्घि हुई है जिसका इस्तेमाल कंपनी की पूंजीगत व्यय जरूरत को पूरा करने के लिए किया गया है। कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात अब भी 0.78 के निचले स्तर पर है। इस पर कंपनी का कहना है कि ऋण कम करने को लेकर उसकी कोई योजना नहीं है। एनएचपीसी ने ईमेल के जरिये भेजी अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘ऋण घटाने की बजाय हम पूंजीगत व्यय योजना के लक्ष्य को पाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’
बहरहाल, दो सरकारी कंपनियों को इस बात से सहूलियत हुई है कि उन्होंने अपनी उत्पादन क्षमता के एक बेहतर हिस्से का निर्माण विनियमन व्यवस्था के अंतर्गत किया है जिसने 70:30 का कठोर ऋण इक्विटी अनुपात की सिफारिश की थी जबकि इसके बाहर रहने वाली परियोजनाओं के लिए ऐसा नियम नहीं था। पीएसयू और निजी क्षेत्र दोनों की फंडिंग मोटे तौर पर 80:20 या 75:25 के सिद्घांत पर होता था।
कारोबार के लागत प्लस मॉडल में होने के कारण भी इन कंपनियों को निजी क्षेत्र की अपनी समकक्ष कंपनियों के मुकाबले बेहतर स्थिति है। इस मॉडल में परियोजनाओं को न्यूनतम शुल्क आधार पर रखा जाता है। एनटीपीसी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘हमारे ऋण की सेवा नियमनों के तहत शुल्क के माध्यम से होती है। साथ ही त्वरित मूल्यह्रास का भत्ता भी हमें समय पर ऋण देनदारियों को चुकाने में सक्षम बनाता है। 31 मार्च, 2020 को हमारा ऋण इक्विटी अनुपात 1.35 के आरामदायक स्तर पर था और आक्रामक पूंजीगत व्यय के बावजूद यह इसी स्तर पर या इससे नीचे बनने रहने की उम्मीद है।’
वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2026 के दौरान ऋण इक्विटी अनुपात और अधिक कम होने के आसार हैं। ऐसा करीब 78,000 करोड़ रुपये के निर्धारित पुनर्भुगतान के कारण होगा। ये ऋण पुनर्भगतान नई जुड़ी क्षमताओं से होने वाली त्वरित मूल्यह्रास की प्राप्तियों से किए जाएंगे। नई क्षमताओं से राजस्व में इजाफा होगा।
वित्त वर्ष 2021 के लिए एनटीपीसी का एकल पूंजीगत व्यय 21,000 करोड़ रुपये का था जिसमें से साल के पहले नौ महीनों में 12,383.49 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।