बीएस बातचीत
बाजार में मार्च 2020 के निचले स्तरों से आई भारी तेजी में कई विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का योगदान है। बीएनपी पारिबा में एशिया पैसिफिक इक्विटी रिसर्च के प्रमुख मनीषी रायचौधरी ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में भारतीय बाजार के प्रतिशत एफआईआई की दिलचस्पी के बारे में विस्तार से बताया। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
क्या वैश्विक और भारतीय बाजार गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं?
सितंबर के शुरू से, वैश्विक इक्विटी बाजारों में पहले गिरावट आई और फिर उनमें सीमित दायरे में कारोबार देखा गया है। बाजार में ऐसे बदलाव मूल्यांकन में ‘समय आधारित गिरावट’ की स्थिति पैदा करते हैं। आय अनुमानों में कमी के बावजूद मार्च 2020 से अच्छी तेजी, की वजह से खासकर कुछ क्षेत्रों में मूल्यांकन महंगा हो गया है। वैश्विक केंद्रीय बैंक दूरदर्शितापूर्ण समय में समायोजनपूर्ण नीतिगत रुख बनाए
रख सकते हैं।
क्या बाजार मूल्यांकन आपके कम्फर्ट जोन से बाहर है?
आय समर्थन के अभाव में इक्विटी में तेजी चिंताजनक थी, संदिग्ध नहीं। हालांकि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि भारत समेत कई बाजारों में तेजी काफी सीमित थी और यह कुछ खास शेयरों द्वारा केंद्रित थी। इन श्रेष्ठ प्रदर्शकों के अलावा, अन्य क्षेत्रों में मूल्यांकन – काफी हद तक वैश्विक और घरेलू चक्रीयता – आम तौर पर महंगे नहीं हैं। इसके अलावा, कई एशियाई बाजारों में पीई मल्टीपल अपने दीर्घावधि औसत से काफी ऊपर हैं और भारत तथा थाईलैंड जैसे कुछ बाजारों में ये औसत से तीन मानक विचलन ऊपर हैं। सिर्फ चीन का मूल्यांकन (एक स्टैंडर्ड डेविएशन ऊपर है और उसे आय संशोधनों से लाभ मिल रहा है) कम जोखिम वाला लग रहा है।
क्या 2020 मिड और स्मॉल-कैप से जुड़ा वर्ष हो सकता है?
सेबी के ताजा निर्णय पर यदि पूरी तरह अमल होता है तो 390-410 अरब रुपये की एयूएम लार्ज-कैप से मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में जा सकती हैं। इसका करीब 65 प्रतिशत हिस्सा स्मॉल-कैप और शेष मिड-कैप के पक्ष में जा सकता है। कुछ परिणाम – म्युचुअल फंडों द्वारा फंड लेबलिंग में बदलाव या सेबी के निर्देश – के बारे में इस समय कुछ अनुमान लगाना कठिन है। अच्छी गुणवत्ता के स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयरों में निवेशकों की अच्छी दिलचस्पी देखी जा सकती है।
कॉरपोरेट आय वृद्घि के लिए आपका क्या अनुमान है?
भारत के लिए, वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के आय वृद्घि अनुमान 30 प्रतिशत और 25 प्रतिशत पर अत्यधिक ज्यादा लग रहे हैं। वित्त वर्ष 2020 के न्यून आधार से, वित्त वर्ष 2021 में आय वृद्घि में सुधार देखा जा सकता है, लेकिन हमें विश्वास है कि यह 18 प्रतिशत के आसपास रह सकती है।
कौन से सेक्टर सुधार को बढ़ावा देंगे?
हमें कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, निजी बैंकों, मैटेरियल, और दूरसंचार से वृद्घि को मदद मिलने की संभावना है। आय परिवेश में सकारात्मक बदलाव प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और कंज्यूमर स्टैपल्स जैसे शुरुआती लाभार्थियों से व्यापक आय सुधार है और सकारात्मक आय बदलाव अब चक्रीयता वाले क्षेत्रों में दिखना शुरू हो गया है।
क्या अगले कुछ महीनों के दौरान बाजार के लिए घरेलू कारकों के मुकाबले वैश्विक समस्याओं से ज्यादा जोखिम रहेगा?
बाजार के लिए प्रमुख जोखिम कोविड-19 संक्रमण में संभावित तेजी और आर्थिक गतिविधि पर प्रभाव, अमेरिकी चुनाव परिणाम, लगातारभू-राजनीतिक तनाव और संरक्षणवाद से पैदा हुए हैं। भारत में, रोजगार में कमी से खपत सुधार में विलंब हो सकता है, बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता खराब होने से उधारी गतिविधियों में विलंब हो सकता है, और सरकार के राजकोषीय दबाव से बड़े मांग-समर्थित प्रोत्साहन रुक सकते हैं। इन कारकों ने भरतीय शेयर बाजारों के लिए जोखिम बढ़ाए हैं। हालांकि उत्तर एशियाई बाजारों में जोखिम काफी हद तक वैश्विक समस्याओं से पैदा हुए हैं, वहीं भारत और दक्षिणपूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में घरेलू जोखिम कारक समान रूप से चिंताजनक हैं।
परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर इक्विटी के संदर्भ में आपके ग्राहकों/विदेशी निवेशकों का रुख कैसा है?
कई वैश्विक निवेशक भारी तेजी के बाद इक्विटी को लेकर सतर्क दिख रहे हैं। कुछ उन क्षेत्रों से दूर होते दिख रहे हैं जो कमजोर पड़ गए हैं। अन्य एशियाई बाजारों के मुकाबले भारत को पिछले चार महीनों में भारी एफआईआई प्रवाह का लाभ मिला है। भारत के एफआईआई पसंदीदा होने की वजह शेयरों और क्षेत्रों द्वारा दिए गए आकर्षक अवसर हैं। चीन के अलावा, ऐसे निवेश योग्य क्षेत्रों को तलाशना कठिन है। मध्यावधि में हमें भारतीय बाजारों के प्रति एफआईआई का उत्साह बरकरार रहने की संभावना है।
मार्च 2020 से आपकी निवेश रणनीति कैसी रही है?
हम निजी बैंकों, बीमा, आईटी, दूरसंचार और खास उपभोक्ता क्षेत्रों पर उत्साहित रहे हैं। आईटी मध्यावधि में सबसे ज्यादा पसंदीदा क्षेत्र है। हमारे विश्लेषणों से पता चलता है कि प्रमुख आईटी कंपनियां सौदे हासिल कर रही हैं और नए लागत नियंत्रण उपायों पर ध्यान दे रही हैं, क्योंकि रिमोर्ट वर्किंग में तेजी आई है।