भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रस्तावों में भी तेजी आने की उम्मीद है। संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरजीत दास गुप्ता के साथ बातचीत में कहा कि अब निवेशक यह पूछ रहे हैं कि वे भारत में कितनी जल्दी आ सकते हैं। प्रमुख अंश …
हम 28एनएम नोड से शुरुआत कर रहे हैं। अगले पांच वर्षों में हम यह तकनीक अपनाएंगे और लोअर नोड का सह-विकास करेंगे। हमारे दो ऐसे संभावित साझेदार हैं, जो छोटे नोड विनिर्माण की प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ने में भारत की मदद करने के इच्छुक हैं। हम 28 एनएम तकनीक अपनाने के बाद इस सफर की दिशा में बढ़ना चाहेंगे।
हम एससीएल मोहाली को अनुसंधान एवं विकास फैब के रूप में विकसित कर रहे हैं। यह वाणिज्यिक विनिर्माण भी करेगी। इसे करीब 10,000 करोड़ रुपये के निवेश से विकसित किया जाएगा।
तीन कारकों – प्रतिभा का बड़ा समूह, विनिर्माण के लिए हरित ऊर्जा की उपलब्धता और विश्व स्तर पर विश्वसनीय देश के साथ भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर विनिर्माण केंद्र बनने के लिए तैयार है। आईएसएम (इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन) की शुरुआत करने के बाद से हमें कम अवधि में ही अच्छी सफलता मिली है।
अगले पांच वर्षों में हम इस बुनियाद पर निर्माण करेंगे। कुछ प्रमुख चिपसेट विकसित करने के लिए हमारे पास डिजाइन का जो तंत्र मौजूद है, हम उसका भी लाभ उठाएंगे। वैश्विक भागीदार अब उत्साहित हैं। पहले वे सवाल कर रहे थे कि क्या हमें भारत जाना चाहिए? अब वे सवाल कर रहे हैं कि हम कितनी जल्दी भारत जा सकते हैं?
अगले पांच साल के दौरान हमें पेशकशों में इतनी ही वृद्धि की उम्मीद है। हमारी मौजूदा परियोजनाओं की सफलता किसी उत्प्रेरक के रूप में काम कर रही है, जो सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रमुख भागीदारों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर रही है। व्यय की रफ्तार को देखते हुए दो वर्षों में पर्याप्त राशि के उपयोग के बाद अगले पांच वर्षों में इसी अनुपात में वित्तीय प्रतिबद्धता उचित लगती है। पर्याप्त परियोजनाओं को मंजूरी मिलने तक सब्सिडी महत्वपूर्ण घटक बनी रहेगी।
आज दुनिया भारत पर भरोसा करती है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को जाता है। ‘फ्रेंडशोरिंग’ की अवधारणा से परे दुनिया कारोबार करने के लिए ‘ट्रस्ट-शोरिंग’ पर विचार करेगी। सेमीकंडक्टर उत्कृष्टता की खोज में हमारा प्राथमिक ध्यान भारत के भीतर व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर बना हुआ है। हालांकि हम भारत के बाहर फैब स्थापित करने के लिए सहयोग करने वाली भारतीय सेमीकंडक्टर कंपनियों के रणनीतिक फायदे को पहचानते हैं।