GCC Dominate Office Leasing in FY 2025: बीते कुछ वर्षों में भारत के ऑफिस मार्केट में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और ये ऑफिस मार्केट के प्राथमिक विकास चालक बन गए हैं। कुल ऑफिस मार्केट में इनकी हिस्सेदारी बढ़कर 40 फीसदी से ज्यादा हो गई है। इसकी वजह लागत के अनुकूल रणनीति, कुशल प्रतिभा पूल, बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास, कारोबारी सुगमता और अनुकूल सरकारी नीतियां हैं।
संपत्ति सलाहकार फर्म वेस्टियन रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में ऑफिस मार्केट में जीसीसी की हिस्सेदारी बढ़कर 42 फीसदी हो गई, जो वित्त वर्ष 2024 की हिस्सेदारी 41 फीसदी से ज्यादा है। बीते दो वित्त वर्ष से ऑफिस मार्केट में जीसीसी की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक बनी हुई है। वित्त वर्ष 2025 में जीसीसी की मांग 318 लाख वर्ग फुट दर्ज की गई, जो इससे पहले वाले वित्त वर्ष की तुलना में 24 फीसदी अधिक रही।
जीसीसी की कुल मांग बढ़ने के बीच लेनदेन की संख्या में गिरावट आई है क्योंकि जीसीसी बड़े स्पेस को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं। वेस्टियन की इस रिपोर्ट के लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 4 फीसदी घटकर 305 रह गई। इसकी वजह जीसीसी की बड़े ऑफिस स्पेस को प्राथमिकता देना है। वित्त वर्ष 25 में बड़े लेन-देन (एक लाख वर्ग फुट से ऊपर) 228 लाख वर्ग फुट दर्ज किए, जो वित्त वर्ष 2024 के 158 लाख वर्ग फुट से 44 फीसदी अधिक हैं।
इस बीच, फॉर्च्यून 500 जीसीसी ने 135 लाख वर्ग फुट ऑफिस स्पेस लीज पर दिए, जो वित्त वर्ष 2025 में जीसीसी द्वारा लीज पर दिए गए कुल क्षेत्र का 43 फीसदी है। साथ ही पिछले वर्ष की तुलना में लीज पर दिए गए क्षेत्र में 25 फीसदी वृद्धि हुई। जिससे जीसीसी स्थापित करने वाले वैश्विक उद्यमों के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हुई।
वेस्टियन के सीईओ फ्रिक्स, श्रीनिवास राव ने कहा, “जीसीसी भारत में ऑफिस मार्केट में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, जो पिछले दो वर्षों में कुल ऑफिस मांग में 40 फीसदी से ज्यादा योगदान दे रहे हैं। आईटी-आईटीईएस, बीएफएसआई, हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज, इंजीनियरिंग और विनिर्माण, और परामर्श सेवाओं जैसे विभिन्न उद्योगों से बड़े समूहों के विस्तार से यह हिस्सा और भी बढ़ने की उम्मीद है।”
आईटी-आईटीईएस क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025 में 46 फीसदी हिस्सेदारी के साथ जीसीसी मांग पर हावी होना जारी रखा। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में हिस्सेदारी 53 फीसदी से कम हो गई। दूसरी ओर, बीएफएसआई क्षेत्र की हिस्सेदारी एक साल पहले 14 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 22 फीसदी हो गई। इंजीनियरिंग और विनिर्माण की हिस्सेदारी 9 फीसदी से घटकर 4 फीसदी हो गई, जबकि परामर्श सेवाओं की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में 6 फीसदी पर काफी हद तक स्थिर रही।
बेंगलूरु: वित्त वर्ष 2025 में शहर की कुल ऑफिस मांग में जीसीसी का योगदान 65 फीसदी था, जो शीर्ष सात शहरों में सबसे अधिक योगदान है। एक साल पहले यह हिस्सा 55 फीसदी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2025 में जीसीसी की कुल मांग में से 47 फीसदी फॉर्च्यून 500 कंपनियों द्वारा लीज पर दिया गया। यह वैश्विक जीसीसी हब के रूप में बेंगलूरु शहर की पहचान को दर्शाता है।
हैदराबाद: वित्त वर्ष 2025 में शहर की कुल ऑफिस मांग में जीसीसी का योगदान 46 फीसदी था, जो शीर्ष सात शहरों में दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। हालांकि, बड़े आकार के सौदों के तहत मांग में 5 फीसदी कमी आई है, जो शहर में जीसीसी द्वारा बड़े ऑफिस स्पेस को लीज पर देने के दौरान सतर्क दृष्टिकोण का संकेत देता है।
चेन्नई: आईटी-आईटीईएस क्षेत्र वित्त वर्ष 2025 में 54 फीसदी हिस्सेदारी के साथ जीसीसी मांग में सबसे आगे रहा, हालांकि एक साल पहले 61 फीसदी हिस्सेदारी की तुलना में कमी आई है। चेन्नई में जीसीसी मांग में हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज की हिस्सेदारी 4 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो गई।
मुंबई: वित्त वर्ष 2025 में शहर की कुल ऑफिस मांग पिछले वर्ष की तुलना में 52 फीसदी बढ़ी है। यह वृद्धि मुख्य रूप से जीसीसी परिदृश्य में वृद्धि के कारण हुई क्योंकि शहर के कुल मांग में जीसीसी की हिस्सेदारी 15 फीसदी से बढ़कर 26 फीसदी हो गई।
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एनसीआर: जीसीसी की समग्र मांग में फॉर्च्यून 500 कंपनियों की हिस्सेदारी एक साल पहले के 40 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 50 फीसदी हो गई। इन कंपनियों ने इस क्षेत्र में बड़े ऑफिस स्पेस लीज पर लिए, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से की जा सकती है कि बड़े आकार के सौदों के तहत लेनदेन किए गए क्षेत्र में वित्त वर्ष 2025 में 142 फीसदी की भारी वृद्धि हुई है।
पुणे: शहर में कुल जीसीसी में आईटी-आईटीईएस क्षेत्र का हिस्सा 61 फीसदी है, जो अन्य क्षेत्रों में सबसे अधिक है। इसके बाद बीएफएसआई 16 फीसदी, इंजीनियरिंग और विनिर्माण 7 फीसदी, ऑटोमोबाइल 5 फीसदी और हेल्थकेयर और लाइफसाइंसेज 3 फीसदी पर है।