परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) द्वारा इस साल अपने कर्मचारियों को सालाना वेतन का 20-30 प्रतिशत हिस्सा बोनस के तौर पर दिए जाने की संभावना है। यह उद्योग महामारी और साल के शुरुआती हिस्से में शेयर बाजार में पैदा हुई बुलबुले जैसी स्थिति के बावजूद अपने परिसंपत्ति आधार में इजाफा करने में सफल रहा है।
आंकड़े से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में उद्योग की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 41 प्रतिशत बढ़कर 31.4 लाख करोड़ रुपये पर रहीं। विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि डेट योजनाओं में कम रिटेल भागीदारी, इक्विटी प्रवाह में नरमी और नियामकीय बदलावों की वजह से राजस्व प्रभावित हो सकता है।
एक फंड हाउस के मुख्य अधिकारी ने कहा, ‘इक्विटी बाजार में भारी सुधार से बिकवाली में आई तेजी की भरपाई हुई है। बोनस उद्योग के लिए औसत 20-30 प्रतिशत के दायरे में हो सकता है। फंड हाउसों द्वारा इस साल कर्मियों को ऊंचे एक अंक में वृद्घि दिए जाने की संभावना है।’
इस उद्योग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘फंड हाउसों में बोनस इस साल काफी अव्यवस्थित रह सकता है। प्रदर्शन के संदर्भ में अच्छा प्रदर्शन और बिक्री दर्ज करने वाली एएमसी सालाना वेतन के 50-100 प्रतिशत तक का बोनस दे सकती हैं।’
फंड प्रबंधकों का वेतन काफी हद तक उनके द्वारा प्रबंधित परिसंपत्तियों और स्कीम के प्रदर्शन से जुड़ा हो सकता है। दूसरी तरफ, सेल्स और बिजनेस डेवलपमेंट टीमों के लिए वैरिएबल पे अक्सर परिसंपत्तियों और निवेशक फोलियो में वृद्घि के अनुपात से संबंधित होता है।
वित्त वर्ष 2021 में लगातार आठ महीनों तक बिकवाली देखी गई, क्योंकि महामारी के बीच नकदी की जरूरत और मुनाफावसूली से निवेशकों ने रकम निकालने पर ज्यादा जोर दिया। एसआईपी के जरिये पूंजी संग्रह 2020-21 में 4 प्रतिशत घटकर 96,000 करोड़ रुपये रहा।
कई ऐक्टिव फंडों ने पिछले साल के मुकाबले अपने बेंचमार्कों से कमजोर प्रदर्शन किया। भारतीय इक्विटी बाजारों में अनिश्चितता पिछले साल के मुकाबले ज्यादा रही, और इस वजह से प्रमुख सूचकांकों में कुछ ही शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रहा। इससे खासकर लार्ज-कैप फंड प्रभावित हुए।
दिसंबर 2020 में समाप्त एक वर्ष के लिए एसऐंडपी इंडेक्सेज वर्सेज ऐक्टिव इंडिया स्कोरकार्ड से पता चलता है कि 81 प्रतिशत भारतीय इक्विटी लार्ज-कैप फंडों, 67 प्रतिशत इक्विटी मिड/स्मॉल-कैप और 65 प्रतिशत इक्विटी-केंद्रित बचत योजनाओं (ईएलएसएस) फंडों ने अपने संबद्घ सूचकांकों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया। 2020 की दूसरी छमाही में, परिसंपत्ति-भारित प्रतिफल प्रत्येक भारतीय इक्विटी श्रेणियों (लार्ज-कैप फंड-273 आधार अंक, ईएलएसएस फंड-318 आधार अंक और मिड/स्मॉल-कैप फंड 230 आधार अंक तक) में उनके संबद्घ बेंचमार्क प्रतिफल से पीछे रहा।
हालांकि पिछले साल इक्विटी एनएफओ में अच्छी तेजी दर्ज की गई, जिनमें अंतरराष्ट्रीय फंड, वैल्यू फंड, और कई पैसिव तथा थीम-आधारित पेशकशें शामिल थीं।
डेट फंडों को खासकर 2020-21 की पहली तिमाही में चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़, क्योंकि ऋण बाजारों पर दबाव पैदा हुआ, जिसका क्रेडिट रिस्क फंडों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ा और फ्रैंकलिन टेम्पलटन जैसी बड़ी कंपनी को अपनी 6 डेट योजनाएं बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ा।