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Gensol से BluSmart तक: Jaggi Brothers का स्टार्टअप सफर अब विवादों में

कंपनी के दस्तावेजों के अनुसार, इसके क्लाइंट्स में ReNew, टाटा पावर, हीरो फ्यूचर एनर्जीज, शापूरजी पालोंजी, एंजी, अदाणी, ग्रीनको और सुजलॉन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- April 19, 2025 | 11:24 AM IST

इलेक्ट्रिक कैब सर्विस BluSmart को अचानक बंद करने और Gensol Engineering से फंड को निजी उपयोग के लिए डाइवर्ट करने के आरोपों में चर्चा में आए अनमोल जग्गी और पुनीत जग्गी पहले भी इस तरह के विवादों का सामना कर चुके हैं।

करीब 2007 के आसपास अपने स्टार्टअप सफर की शुरुआत करने वाले इन दोनों भाइयों ने एक के बाद एक नए बिजनेस आइडिया पर काम किया। वे समय-समय पर उभरते बिजनेस सेक्टर में कदम रखते रहे, लेकिन चुनौतियों का सामना होने पर कंपनियों को या तो बंद कर दिया या बेच दिया।

अब वही बिजनेस मॉडल, यानी एक के बाद एक कंपनियां बनाना और फिर उनका संचालन रोक देना, उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है। खासकर तब, जब उनकी ताज़ा शुरुआत BluSmart को लेकर उन्हें एक पहचान मिलनी शुरू ही हुई थी और जग्गी बंधु सुर्खियों में आ रहे थे।

पुनीत और अनमोल जग्गी—ये दो भाई न सिर्फ दिखने में एक जैसे हैं, बल्कि उनके जीवन के कई पहलू भी समान हैं। दोनों के बीच उम्र में दो साल का अंतर है और वे अक्सर अपने आर्मी बैकग्राउंड का ज़िक्र करते हैं। उनके पिता, दिवंगत लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. जग्गी, आर्मी एयर डिफेंस के एक सम्मानित अफसर थे। साल 2018 में जब उनका निधन हुआ, तो अंतिम संस्कार में कई बड़े केंद्रीय मंत्री और वीवीआईपी शामिल हुए।

हाल के वर्षों में अनमोल और पुनीत को अक्सर नीले रंग की पगड़ी और ब्लूस्मार्ट लोगो वाली सफेद टी-शर्ट में देखा गया है। वे जहां भी सार्वजनिक रूप से नजर आए, अपनी इलेक्ट्रिक कैब खुद चलाते हुए दिखाई दिए—यानी उन्होंने अपने ब्रांड को न सिर्फ पहना, बल्कि जिया भी। इंटरव्यू हो या पैनल डिस्कशन, जग्गी ब्रदर्स अपनी बोलने की कला और बड़े वादों के लिए जाने जाते हैं।

साल 2007 में दोनों भाइयों ने मिलकर पहली कंपनी ‘जेनसोल’ की नींव रखी। यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून से पढ़ाई पूरी करने के बाद अनमोल ने भारत में कार्बन क्रेडिट्स को लेकर एक नया विचार रखा—उस समय देश में इस सेक्टर का कोई वजूद नहीं था। शुरुआती तीन सालों में उनका बिजनेस तेजी से बढ़ा और भारत की कई बड़ी कंपनियां उनके प्लेटफॉर्म से कार्बन क्रेडिट्स की खरीद-बिक्री करने लगीं।

लेकिन 2010 में जब ग्लोबल कार्बन मार्केट धराशायी हुआ, तो अनमोल का सपना भी टूटता नजर आया—हालांकि सिर्फ कुछ समय के लिए।

2005 में कार्बन मार्केट को लेकर लागू हुए क्योटो प्रोटोकॉल को कुछ बड़े औद्योगिक देशों ने मंजूरी नहीं दी थी, जिनमें अमेरिका भी शामिल था। इस स्थिति ने कई कारोबारों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए।

इसी संदर्भ में अनमोल ने 2017 में नई दिल्ली में एक इंटरव्यू के दौरान बताया था, “हमें अंदेशा हो गया था कि अगर क्योटो प्रोटोकॉल बंद हो गया, तो हमारा पूरा कारोबार ठप हो सकता है। इसी वजह से हमने उस समय 6-7 नए क्षेत्रों में कारोबार शुरू किए—जैसे सोलर एनर्जी, वेस्ट मैनेजमेंट और एनर्जी एफिशिएंसी सर्टिफिकेट्स। लेकिन इन सब में से सिर्फ सोलर ही चल पाया।”

अनमोल के मुताबिक, यह फैसला वक्त की मांग के हिसाब से लिया गया था, लेकिन अपेक्षित सफलता केवल सौर ऊर्जा क्षेत्र में ही मिली।

जग्गी परिवार की ग्रीन जर्नी

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में बसकर जग्गी परिवार ने करीब दो दशक पहले सौर और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी यात्रा शुरू की थी। उस वक्त यह सेक्टर शुरुआती दौर में था और गुजरात इस क्षेत्र में सबसे पहले कदम रखने वाला राज्य था। यहीं से Gensol Consultants की शुरुआत हुई, जिसने देश की कई उभरती रिन्यूएबल एनर्जी कंपनियों को क्लाइंट के तौर पर जोड़ा। इनमें से कई आज भारत के नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर की पहचान बन चुकी हैं।

शुरुआत में Gensol का काम मुख्य रूप से गुजरात में सौर ऊर्जा कंपनियों के लिए लायजनिंग यानी विभिन्न मंजूरियों और प्रक्रियाओं में सहयोग देना था। लेकिन जैसे-जैसे यह सेक्टर देशभर में फैला और कंपनियां आत्मनिर्भर होती गईं, कंसल्टेंसी का काम धीमा पड़ने लगा।

इसके बाद कंपनी ने अपनी सेवाओं का दायरा बढ़ाया और बिजली व नवीकरणीय ऊर्जा सर्टिफिकेट (REC) की ट्रेडिंग शुरू की। साल 2010-11 के आसपास Gensol ने खुद को सोलर रूफटॉप सिस्टम्स के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) का चैनल पार्टनर भी बताया था।

इसके बाद कंपनी ने अपने पुराने क्लाइंट बेस को आधार बनाकर खुद ही नवीकरणीय ऊर्जा प्रोजेक्ट्स बनाना और उनका प्रबंधन करना शुरू किया। साल 2015 तक, कंपनी का दावा था कि उसके पास 50 फीसदी मार्केट शेयर था। आज भी Gensol देश की टॉप पांच सौर EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) कंपनियों में शामिल है।

कंपनी के दस्तावेजों के अनुसार, इसके क्लाइंट्स में ReNew, टाटा पावर, हीरो फ्यूचर एनर्जीज, शापूरजी पालोंजी, एंजी, अदाणी, ग्रीनको और सुजलॉन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। Gensol ने भारत के अलावा अफ्रीका, पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी अपने कदम जमाए हैं।

सौर ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय जग्गी ब्रदर्स ने एक व्यवसाय से कई नए कारोबार खड़े किए। सौर EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) कंपनी के साथ उन्होंने इससे जुड़े कई अन्य व्यवसाय भी शुरू किए। इनमें से एक था “परम रिन्यूएबल्स”, जो सोलर ऑपरेशंस और मेंटेनेंस सेवाएं देता है और उनके पिता के नाम पर रखा गया था। इसके अलावा “प्रेसिंटो टेक्नोलॉजीज” नाम से SCADA (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) सेवाएं देने वाली कंपनी भी शुरू की गई।

उन्होंने सौर उपकरण इंस्टॉलर्स के लिए ऑनलाइन मार्केटप्लेस “इज़ीसोलर” और मोबाइल, सौर ऊर्जा से चलने वाला इन्वर्टर “इज़ीबॉक्स” में भी निवेश किया। हालांकि, फिलहाल इज़ीसोलर और इज़ीबॉक्स को लेकर कोई ताज़ा जानकारी नहीं है। यही स्थिति उनके पावर ट्रेडिंग, कार्बन ट्रेडिंग, REC और रूफटॉप सोलर वेंचर्स को लेकर भी बनी हुई है।

परम रिन्यूएबल्स और Gensol Engineering के ग्राहक एक जैसे हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि दोनों भाइयों ने SEBI के ताज़ा आदेश से पहले 20 से ज़्यादा कंपनियों में डायरेक्टर के तौर पर काम किया है। SEBI ने इस हफ्ते जारी एक अंतरिम आदेश में जग्गी ब्रदर्स को Gensol और BluSmart में किसी भी पद पर काम करने से रोक दिया है। आरोप है कि उन्होंने धोखाधड़ी और फंड डायवर्जन में संलिप्तता दिखाई।

इनमें से अधिकतर कंपनियां LLP (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) फॉर्मेट में रजिस्टर्ड हैं, और कई कंपनियों की बिजनेस जानकारी सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं है। इनमें क्रॉस डायरेक्टरशिप देखने को मिलती है और कई कंपनियों का पता भी एक ही है। दोनों भाइयों ने निजी तौर पर भी सोलर टेक्नोलॉजी, बैटरी निर्माण और इससे जुड़ी कई कंपनियों में निवेश किया हुआ है।

BluSmart के सह-संस्थापक अनमोल जग्गी का क्लीनटेक सफर अब सवालों के घेरे में

एक समय था जब अनमोल जग्गी का नाम ‘हॉटेस्ट यंग एंटरप्रेन्योर्स’ और ’40 अंडर 40′ जैसी सूचियों में छाया हुआ करता था। लेकिन असली पहचान उन्हें मिली एक चमचमाती इलेक्ट्रिक कैब सर्विस BluSmart के ज़रिए, जिसे उन्होंने पुनीत के गोयल के साथ मिलकर शुरू किया था। पुनीत गोयल इससे पहले PLG पावर के भी संस्थापक रह चुके हैं, जो सोलर पैनल बनाती थी। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, यह कंपनी 2011 से 2013 के बीच सोलर पैनलों की कीमतों में भारी गिरावट और वैश्विक दिवालियापन के चलते बंद हो गई थी।

BluSmart को शुरुआत से ही एक अलग पहचान देने की कोशिश की गई—साफ-सुथरी इलेक्ट्रिक गाड़ियां और सैलरी पर रखे गए ड्राइवर। सबसे बड़ी बात, कंपनी ने समय से पहले पिकअप जैसी सेवाओं से उपभोक्ताओं को प्रभावित किया।

लेकिन जग्गी बंधु सिर्फ कैब सेवा तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने EV लीजिंग, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, रेंटल चार्जिंग और यहां तक कि EV निर्माण में भी कदम रखने की कोशिश की। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग को लेकर कई बार योजनाएं बदली गईं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस अपडेट नहीं आया है।

आज की स्थिति यह है कि जग्गी बंधुओं ने क्लीनटेक की लहर को भुनाने के लिए कंपनियों का एक जाल तैयार कर लिया था, लेकिन अब जब रेगुलेटरी एजेंसियों की निगरानी में हैं, तो यह रास्ता आसान नहीं होगा। न ही कंपनी को बंद करना, न बेचना और न ही आगे बढ़ना उतना आसान रहेगा।

BluSmart के सह-संस्थापक अनमोल जग्गी का क्लीनटेक सफर अब सवालों के घेरे में

एक समय था जब अनमोल जग्गी का नाम ‘हॉटेस्ट यंग एंटरप्रेन्योर्स’ और ’40 अंडर 40′ जैसी सूचियों में छाया हुआ करता था। लेकिन असली पहचान उन्हें मिली एक चमचमाती इलेक्ट्रिक कैब सर्विस BluSmart के ज़रिए, जिसे उन्होंने पुनीत के गोयल के साथ मिलकर शुरू किया था। पुनीत गोयल इससे पहले PLG पावर के भी संस्थापक रह चुके हैं, जो सोलर पैनल बनाती थी। उनके लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, यह कंपनी 2011 से 2013 के बीच सोलर पैनलों की कीमतों में भारी गिरावट और वैश्विक दिवालियापन के चलते बंद हो गई थी।

BluSmart को शुरुआत से ही एक अलग पहचान देने की कोशिश की गई—साफ-सुथरी इलेक्ट्रिक गाड़ियां और सैलरी पर रखे गए ड्राइवर। सबसे बड़ी बात, कंपनी ने समय से पहले पिकअप जैसी सेवाओं से उपभोक्ताओं को प्रभावित किया।

लेकिन जग्गी बंधु सिर्फ कैब सेवा तक सीमित नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने EV लीजिंग, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, रेंटल चार्जिंग और यहां तक कि EV निर्माण में भी कदम रखने की कोशिश की। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग को लेकर कई बार योजनाएं बदली गईं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस अपडेट नहीं आया है।

आज की स्थिति यह है कि जग्गी बंधुओं ने क्लीनटेक की लहर को भुनाने के लिए कंपनियों का एक जाल तैयार कर लिया था, लेकिन अब जब रेगुलेटरी एजेंसियों की निगरानी में हैं, तो यह रास्ता आसान नहीं होगा। न ही कंपनी को बंद करना, न बेचना और न ही आगे बढ़ना उतना आसान रहेगा।

First Published : April 19, 2025 | 10:15 AM IST