वीडियोकॉन के लिए एयरटेल के पूर्व सीएफओ गुप्ता के परिवार की बोली

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:40 AM IST

भारती समूह के वाइस चेयरमैन एवं भारती इन्फ्राटेल के कार्यकारी चेयरमैन अखिल गुप्ता परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज के लिए बोली लगाई है। वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज मौजूदा समय में चूक के मामले के बाद दिवालिया सुनवाई का सामना कर रही है।
करीब 18 वर्षों तक भारती एयरटेल के लिए काम कर चुके गुप्ता ने इसकी पुष्टि कर दी है कि उनके बेटे अनुभव ने अवंती इन्वेस्टफिन प्राइवेट लिमिटेड के जरिये वीडियोकॉन के लिए बोली लगाई है। हालांकि उन्होंने किसी तरह का विवरण देने से इनकार कर दिया। गुप्ता के बेटे अनुभव गुप्ता की शादी केकेआर इंडिया के मुखिया संजय नायर की बेटी अद्यैत से हुई है।
एक बैंकिंग अधिकारी ने कहा कि कंपनी के लिए यह पेशकश आज लेनदारों की समिति (सीओसी) के समक्ष की गई और ऋणदाताओं द्वारा अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। वीडियोकॉन प्रवर्तक वेणुगोपाल धूत द्वारा आईबीसी की धारा 12ए के तहत दिए गए प्रस्ताव पर भी बैठक में चर्चा हुई थी। इस घटनाक्रम से अवत एक अधिकारी ने कहा, ‘बैंकर महामारी समाप्त हो जाने के बाद कई अन्य ऑफर आने की उम्मीद कर रहे हैं और उन्होंने अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है।’
भारती एयरटेल की सफलता का श्रेय हासिल करने वाले गुप्ता इस दूरसंचार कंपनी के अरबपति प्रवर्तक सुनील मित्तल के नजदीकी विश्वस्त थे।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि गुप्ता दूरसंचार क्षेत्र में अग्रणी रहे हैं, क्योंकि उन्होंने एरिक्सन और आईबीएम के साथ नेटवर्क और आईटी की आउटसोर्सिंग शुरू की। इससे भारती एयरटेल के लिए पूंजीगत खर्च में कमी आई।
जॉबाकॉर्प डॉटकॉम के अनुसार, अनुभव गुप्ता परिवार के स्वामित्व वाली अन्य कंपनियों में भी निदेशक हैं जिनमें स्क्वायर यट हॉस्पिटैलिटीज भी शामिल है जो होटल, कैम्पिंग साइट्स और आवास सुविधा मुहैया कराने जैसे व्यवसायों से जुड़ी हुई है। इसके अलावा वह इन्वरजन मैनेजमेंट सर्विसेज में भी निदेशक के तौर पर शामिल हैं।
भारतीय ऋणदाताओं ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर 59,000 करोड़ रुपये बकाया होने का दावा किया है। एक समय भारत की सबसे बड़ी होम अप्लायंसेज कंपनी रही वीडियोकॉन ने वायरलेस टेलीफोनी उद्योग में भी अपना हाथ आजमाया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लाइसेंस रद्द कर दिए जाने के बाद कंपनी को 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
अपने ताजा प्रस्ताव में, वीडियोकॉन प्रवर्तकों ने कहा है कि वर्ष 1984 से (जब वीडियोकॉन ने अपना व्यवसाय शुरू किया) दिसंबर 2016 तक, यानी करीब तीन दशकों में वीडियोकॉन समूह कभी डिफॉल्टर नहीं रहा और ऐसे सस्ते उत्पादों से प्रतिस्पर्ध करने में सफल रहा जो चीन निर्मित थे और उन्हें भारतीय बाजारों में खपाया गया था। लेकिन 2012 मे आए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से पूरे समूह की वित्तीय स्थिति प्रभावित हुई और उसके बाद से उस पर दबाव बना हुआ था।

First Published : September 3, 2020 | 12:12 AM IST