आर्थिक मंदी के दौर में दैनिक उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) उद्योग सस्ते सामानों को पेश किए जाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कई कंपनियां अब 1 और 2 रुपये की श्रेणियों से आगे बढ़ रही हैं।
जुलाई-सितंबर की तिमाही में हिन्दुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) ने क्लीनिक प्लस पाउच उतारा है जिसकी कीमत 3 रुपये है और इसे परिवार के 4 सदस्यों को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है। एचयूएल ने क्लीनिक ऑल क्लियर ट्रिपल पैक शैम्पू का पाउच भी लॉन्च किया है जिसकी कीमत 5 रुपये है।
मैरिको ने भी हाल ही में 4 रुपये की कीमत वाला अपना हेयर ऐंड केयर सिल्क-एन-शाइन उत्पाद पेश किया है। मैरिको ने बच्चों के लिए 3 रुपये की कीमत में पैराशूट एडवांस्ड स्टार्ज शैम्पू पाउच भी पेश किया है।
मैरिको के मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता ने कहा, ’10 रुपये और इससे कम कीमत वाले स्टॉक कीप यूनिट्स (एसकेयू) उपभोक्ताओं को काफी पसंद आ रहे हैं और हमारे कुल राजस्व में इनकी भागीदारी तकरीबन 15 फीसदी की है। हम ऐसे और उत्पाद बाजार में उतारेंगे।’
चिक सैटिन और फेयरएवर ब्रांडों की मालिक केविनकेयर के प्रबंध निदेशक सी. के. रंगनाथन कहते हैं, ’10 रुपये और इससे कम कीमत के उत्पादों की हमारे कुल राजस्व में 60 फीसदी की भागीदारी है।’
रंगनाथन ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि मौजूदा मंदी के दौरान सस्ते उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इसलिए हम हाई-ऐंड एक्सपेरीमेंटल उत्पादों को लॉन्च नहीं कर रहे हैं। हम सस्ते ब्रांडों के निर्माण पर अधिक ध्यान देंगे।’
गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन आदी गोदरेज ने कहा, ‘मेरा मानना है कि उपभोक्ता आर्थिक मंदी को ध्यान में रख कर कम कीमत में ज्यादा वैल्यू तलाशेंगे। एफएमसीजी कंपनियां ज्यादातर श्रेणियों में लागत कम करने के लिए और प्रयोग कर सकती हैं।’
मैरिको के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक हर्ष मारीवाला ने कहा, ‘हमारी कुल बिक्री का 60-70 फीसदी का आधार सस्ते एफएमसीजी उत्पाद हैं।’ कंपनी के पैराशूट और जुएं विरोधी शैम्पू मेडिकेयर जैसे उत्पाद काफी लोकप्रिय हैं।