एफ एमसीजी कंपनियों ने महाराष्ट्र में लगे 15 दिन के लॉकडाउन में मदद देने के लिए उत्पादन और वितरण की नई योजनाएं लागू की हैं। इनमें चुनिंदा ब्रांडों, छोटे पैक पर ध्यान केंद्रित करना और व्यवधान कम करने के लिए बफर स्टॉक तैयार करना शामिल है। वितरण योजनाओं में फैक्टरी से डीलरों तक माल की आवाजाही में लगने वाले समय को कम करने और उन बाजारों के करीब इन्वेंट्री को आगे बढ़ाना भी शामिल है जहां चीजों की खपत होती है। कंपनियां गोदामों में इन्वेंट्री बना रही हैं।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘हमने कम से कम चार से पांच दिन की इन्वेंट्री को वितरण पाइपलाइन के लिए डाला है ताकि रिटेल के स्तर पर कोई कोई कमी न हो। कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि वितरकों को 15 दिन की अवधि के लिए पर्याप्त रूप से स्टॉक दिया जाए। अगर लॉकडाउन बढ़ाया जाता है तो हमें अभी भी किसी समस्या की आशंका नहीं है।’ पिछले साल राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में आगे की तैयारी की कमी के कारण कंपनियों ने कुछ दिनों के लिए उत्पादन रोक दिया था।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सीईओ (भारत और दक्षेस देशों) सुनील कटारिया ने कहा, ‘हमारी इन्वेंट्री का वितरण गोदामों में कर दिया गया है और हम जल्द ही कारोबार की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होंगे।’ महाराष्ट्र सरकार को उम्मीद है कि एक पखवाड़े में विषाणु के प्रसार की शृंखला टूट जाएगी क्योंकि वस्तुओं, सेवाओं और लोगों की आवाजाही पर सख्त अंकुश लगाया गया है। सभी गैर-जरूरी आवाजाही को एक पखवाड़े के लिए कम कर दिया गया है और लोगों को घर के अंदर रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा, ‘भोजन आवश्यक श्रेणी में आता है। हमें अपने संयंत्रों को 50 फीसदी श्रम सीमा के साथ संचालित करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, आपूर्ति शृंखला की दिक्कतों को कम करने के लिए छोटे पैक और लोकप्रिय ब्रांडों पर जोर दिया जाएगा।’ पारले प्रोडक्ट्स के लोकप्रिय ब्रांडों में पारले जी, मैरी, मोनैको, क्रैकजैक और हाइड ऐंड सीक कुकीज शामिल हैं।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों ने कहा कि महाराष्ट्र में लॉकडाउन की शुरुआत बुधवार शाम से शुरू हुई और इसका असर गुरुवार से महसूस किया जाएगा। महाराष्ट्र में एफएमसीजी कंपनी की बिक्री की 10.15 प्रतिशत हिस्सेदारी है और यह देश के प्रमुख खपत और उत्पादन वाले बाजारों में शामिल है।
कंपनियों का कहना है कि इस साल वे अपनी जरूरतों पर सावधानी से प्राथमिकता दे रहे हैं और वितरकों की ऋ ण अवधि में विस्तार करने की योजना भी बना रहे हैं। साथ ही अग्रिम पंक्ति के बिक्री करने वाले कर्मियों का इंसेंटिव भी बढ़ा रहे हैं क्योंकि वे बाजार में अपने उत्पादों को आगे बढ़ाते हैं। अमूल की निर्माता कंपनी गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा, ‘महामारी में, उपभोक्ताओं का ध्यान जरूरी चीजों पर है। इसीलिए हम दूध के अलावा पनीर, मक्खन, दही, डेयरी उत्पादों और घी जैसे सेगमेंट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’