पिछले कई महीनों से रेडीमेड गारमेंट का घट रहा निर्यात जनवरी में थोड़ा सुधरा है। इसका निर्यात साल भर पहले (जनवरी 2008) की तुलना में 5 फीसदी बढ़ा है।
वहीं दिसंबर 2008 की तुलना में निर्यात में 11 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) जनवरी 2009 में रेडीमेड कपड़ों का निर्यात 97.2 करोड ड़ॉलर हो गया जो साल भर पहले 87.1 करोड़ डॉलर था।
निर्यात बढ़ने की वजहें उत्पादों की कीमतों में कटौती, बैंक दरों में कमी और रुपये का अवमूल्यन रहीं। इसके चलते भारत अमेरिका को होने वाले निर्यात के मामले में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश को पीछे छोड़ने में कामयाब हो सका।
हर साल 70 अरब डॉलर के रेडीमेड कपड़ों का आयात करने वाला अमेरिका भारत के लिए सबसे बड़ा बाजार है। गौरतलब है कि भारत से रेडीमेड कपड़ों के कुल निर्यात का एक-चौथाई अमेरिका को किया होता है।
अमेरिका और यूरोप में उत्पादों का निर्यात करने वाले निर्यातकों को शुल्क में 1 अप्रैल 2009 से 2 फीसदी की राहत देने की घोषणा का कारोबारियों के उत्साह पर सकारात्मक असर पड़ा है। क्लॉथिंग मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राहुल मेहता के मुताबिक, ”स्थिति इतनी बुरी नहीं थी जैसा हमलोग सोच रहे थे।”
ग्राहकों को लुभाने और प्रतिद्वंद्वी देशों बांग्लादेश, वियतनाम और कंबोडिया से मुकाबला करने के लिए भारतीय निर्यातक अब पहले से कम कीमत ले रहे हैं और कई तरह के ऑफर भी दे रहे हैं। उद्योग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारतीय निर्यातकों ने कीमतों में 11-12 फीसदी की कमी की है।
दिल्ली की डिंपल क्रिएशंस के प्रबंध निदेशक प्रवीण नायर ने बताया, ”ग्राहकों को जोड़े रखने के लिए निर्यातकों को कीमतों में कमी करनी पड़ रही है।” नायर ने बताया कि अच्छी बात है कि विदशों में अभी भी उत्पादों की मांग है।
भारतीय वस्त्रोद्योग परिसंघ (सीआईटीआई) के महासचिव डी. के. नायर ने बताया, ”यदि गारमेंट सेक्टर का प्रदर्शन सुधरता है तो यह समूचे वस्त्रोद्योग के लिए एक बढ़िया बात होगी। इससे अंतत: धागा और फैब्रिक उद्योग को मजबूती मिलेगी।”
हालांकि निर्यात में सुधार के बावजूद भारत को अभी भी अमेरिकी बाजार के शीर्ष पांच निर्यातकों में जगह मिलना बाकी है। भारत फिलहाल बांग्लादेश से पीछे छठे स्थान पर है। बांग्लादेश ने जनवरी-दिसंबर 2008 की अवधि में अमेरिका को 344 करोड़ डॉलर का निर्यात किया है। वहीं भारत ने इसी अवधि में अमेरिका को 317 करोड़ डॉलर का निर्यात किया।
मांग में कमी को देखते हुए निर्यातकों ने पश्चिम एशिया, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया और जापान जैसे नए बाजारों में संभावनाएं टटोलनी शुरू कर दी। कुछ ने घरेलू बाजार की ओर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया। मेहता ने बताया, ”भारत का बाजार भी काफी बड़ा है। इसका दोहन होना चाहिए।”
हालांकि नायर के मुताबिक, घरेलू बाजार अभी तैयार नहीं है। एईपीसी के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष में भारत से रेडीमेड कपड़ों का निर्यात 24 फीसदी घटने का अनुमान है।
