केंद्रीय बैंक द्वारा सोमवार को स्वीकृत की गई ऋण पुनर्गठन के लिए केवी कामत के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों का खुदरा, मीडिया और खाद्य सेवा उद्योगों पर सीमित प्रभाव होगा। इन क्षेत्रों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी है। ये क्षेत्र ऋण पुनर्गठन के लिए समिति द्वारा पहचानी गई 26 श्रेणियों की सूची का हिस्सा हैं।
हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इन तीन श्रेणियों में बड़ी कंपनियों को ऋण पुनर्गठन की आवश्यकता नहीं है। इसका कारण वह कारगर तरीका है जिसके तहत इनमें से कई कंपनियां अपना परिचालन कर रही हैं। विश्लेषक कहते हैं कि इसकेअलावा ऋण पुनर्गठन का निर्णय अंतत: बैंकों को ही करना है। वी-मार्ट के मुख्य वित्तीय अधिकारी आनंद अग्रवाल ने कहा कि हालांकि लघु और मध्य उद्यमों में उनके बहीखातों में ऋण है, लेकिन सवाल यह है कि क्या बैंक ऋण पुनर्गठन के लिए सहमत होंगे या नहीं। साथ ही ज्यादातर बड़ी कंपनियां अपनी स्थिति का फायदा नहीं उठाती हैं।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि फ्यूचर समूह, जो भारत में बड़ी रिटेल कंपनियों में सबसे अधिक फायदे की स्थिति में था, ने पिछले सप्ताह ही अपनी खुदरा परिसंपत्तियों की रिलायंस को बेचने की घोषणा की है जिसमें देनदारियों का हस्तांतरण इस सौदे का हिस्सा है। ट्रेंट, टाइटन, वेस्टलाइफ डेवलपमेंट और जुबिलेंट फूडवक्र्स जैसी कंपनियां शुद्ध-ऋण मुक्त हैं। इसका अर्थ यह है कि इन्हें इस सुविधा की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।
यहां एकमात्र अपवाद आदित्य बिड़ला फैशन ऐंड रिटेल है जिसका जून तिमाही के अंत में शुद्ध ऋण 3,250 करोड़ रुपये था। पिछले महीने परिणाम आने के बाद कंपनी ने कहा था कि उसने कार्यशील पूंजी दक्षता में सुधार और 1,000 करोड़ रुपये के अपने राइट्स इश्यू की कुछ आय का उपयोग करते हुए वित्त वर्ष 21 के अंत तक शुद्ध ऋण को कम करके 2,000 करोड़ रुपये तक लाने की योजना बनाई है।
