उन मोबाइल उपभोक्ताओं को चिंतित होने की जरूरत नहीं है, जिनके हैंडसेट का इंटरनैशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी (आईएमईआई) नंबर मौजूद नहीं है।
वे मात्र 200 रुपये का भुगतान कर आईएमईआई नंबर प्राप्त कर सकते हैं। जीएसएम ऑपरेटरों की सर्वोच्च इकाई सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने सोमवार को ‘जेनविन आईएमईआई इम्प्लांट (जीआईआई)’ प्रोग्राम लॉन्च किया।
इसके तहत उपभोक्ता 200 रुपये का भुगतान कर अपने हैंडसेट का आईएमईआई नंबर प्राप्त कर सकते हैं। इस सॉफ्टवेयर को मोबाईल स्टैंडर्ड एलायंस ऑफ इंडिया (एमएसएआई) और सीओएआई ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इस तकनीक को दूरसंचार विभाग और भारतीय सुरक्षा एजेसिंयों से भी मंजूरी मिल गई है।
आईएमईआई मोबाइल हैंडसेट में 15 अंकों का एक कोड होता है। अगर आपका मोबाइल गुम या चोरी हो जाता है, तो इस नंबर के जरिये मोबाइल का पता लगाना आसान हो जाता है। इसके अलावा इस नंबर की मदद से आप मोबाइल का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति का भी पता लगा सकते हैं। चीनी मोबाइल में आईएमईआई नंबर नहीं पाया जाता है।
सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार विभाग ने ऑपरेटरों को यह आदेश दिया था कि जिन मोबाइल में यह नंबर मौजूद नहीं है, उसकी सेवा समाप्त कर दी जाए। एक अनुमान के मुताबिक देश में 2 करोड़ हैंडसेट में आईएमईआई नंबर नहीं है।
सीओएआई के महानिदेशक टी. वी. रामचंद्रन ने कहा, ‘हमलोगों ने देखा कि इस तरह के मोबाइल आम आदमी द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं, जो कई महीने पैसे बचाकर मोबाइल खरीदते हैं। इसलिए उनके मोबाइल को डिस्कनेक्ट कर देना उचित नहीं है, क्योंकि मोबाइल खरीदते समय उन्हें इन बातों की जानकारी नहीं होती है। जीआईआई कार्यक्रम उन्हीं उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर चलाया जा रहा है।’
