तेल एवं गैर उत्खनन क्षेत्र की सरकारी कंपनी ओएनजीसी अपने तेल क्षेत्रों से उत्पादन बढ़ाने के लिए साझेदारों की तलाश कर रही है। कंपनी को नामांकन के आधार पर दूरदराज के ये क्षेत्र दिए गए थे। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि यह पहल उत्पादन कर रहे क्षेत्रों से अधिकतम उत्पादन हासिल करने संबंधी उसके लक्ष्य के अनुरूप है।
ओएनजीसी के अनुसार, कुल करीब 16 करोड़ टन तेल समतुल्य तेल एवं गैस समतुल्य मात्रा के साथ 11 ऑन-लैंड अनुबंध क्षेत्रों के लिए यह पेशकश की जा रही है जहां 43 तेल एवं गैस क्षेत्र मौजूद हैं। ये अनुबंध क्षेत्र गुजरात, असम, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में हैं। भारत का घरेलू तेल उत्पादन 2020-21 में 2.91 करोड़ टन था। जबकि उस साल कच्चे तेल का कुल आयात 22.6 करोड़ टन रहा।
कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘पात्र कंपनियां (भारतीय अथवा विदेशी) अकेले अथवा अन्य कंपनियों के साथ कंसोर्टियम में एक अथवा अधिक अनुबंध क्षेत्रों के लिए बोली लगाा सकती हैं।’
यह कोई पहला अवसर नहीं है जब ओएनजीसी यह पहल कर रही है। कंपनी के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘ओएनजसी ने बोली के पिछले दौर में उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न परिसंपत्तियों के तहत 21 क्षेत्रों के लिए सफलतापूर्वक अनुबंध किया है।’ अब तक का अनुभव मिलाजुला रहा है जहां अधिक उत्पादन के साथ कुछ सफलता दिख रही है लेकिन अन्य क्षेत्रों में फिलहाल कोई सुधार नहीं दिखा है।
केंद्र सरकार आयात ओएनजीसी पर तेल एवं गैस उत्पादन बढ़ाने के लिए दबाव डाल रही है ताकि आयात को कम किया जा सके। वह ओएनजीसी और अन्य सरकारी कंपनी ऑयल इंडिया को नामांकन आधार पर दिए गए क्षेत्रों को वापस लेकर डिस्कवर स्मॉल फील्ड (डीएसएफ) दौर के तहत बोली आमंत्रित कर रही है। इसका उद्देश्य घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए ताजा पूंजी को आकर्षित करना है।
यह पूछे जाने पर कि ओएनजीसी की पेशकश डीएसएफ कार्यक्रम से किस प्रकार अलग है, ओएनजीसी के प्रवक्ता ने कहा, ‘डीएसएफ उन क्षेत्रों के लिए है जिन्हें भुनाया नहीं गया है। पेशकश वाले इन क्षेत्रों में उत्पादन शुरू हो चुका है और उत्पादन बढ़ाने के लिए पेशकश की जा रही है।’
ओएनजीसी ने कहा कि वह 3 दिसंबर 2021 तक अपने ई-बिडिंग पोर्टल के जरिये बोलियां आमंत्रित कर रही है। इसके लिए बोली पूर्व सम्मेलन का आयोजन 20 अक्टूबर 2021 हो होगा। प्रतिस्पर्धी बोली के जरिये हाइड्रोकार्बन की बिक्री के लिए विपणन एवं मूल्य निर्धारण के लिए पूरी आजादी होगी। राजस्व की साझेदारी बढ़े हुए उत्पादन और बिजनेस-एस-यूजुअल (बीएयू) की स्थिति में बुनियादी उत्पादन से अधिक पर की जाएगी।
अनुबंध की शुरुआती अवधि 15 साल की होगी जिसे 5 साल तक बढ़ाने का विकल्प होगा। बीएयू से अधिक प्राकृतिक गैस के उत्पादन की स्थिति में रॉयल्टी दर में 10 फीसदी की कमी करने का भी प्रावधान होगा।
ओएनजीसी के अनुसार, उत्पादन में वृद्धि की प्रतिबद्धता से अधिक उत्पादन के लिए साझेदारों को अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।