अमेरिका की दवा विनिर्माता एलाई लिली (Eli Lilly) को उम्मीद है कि वह मधुमेह की अपनी प्रसिद्ध दवा और मोटापे के इलाज के लिए लोकप्रिय मौन्जारो को अगले साल भारत में पेश करेगी। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी डेविड रिक्स (CEO David Ricks) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में दवा के बाजार की बड़ी संभावना है। यहां विशेष रूप से महिलाओं में मोटापे की दर अधिक है और टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। भारतीय दवा विनिर्माता ऐसी दवाओं के अपने संस्करण बना रहे हैं, जबकि अवैध संस्करण भी ऑनलाइन बेचे जाते हैं।
जब उनसे दवा को बाज़ार में लाने के लिए दूसरों के साथ संभावित साझेदारी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा जब तक कंपनी के लिए यह ठीक है और हम बाजार में आपूर्ति कर सकते हैं, तब तक हम ज्यादा रोगियों तक पहुंचने के लिए किसी भी तरह से तैयार हैं।
टिरजेपैटाइड युक्त मौन्जारो इन दोनों शर्तों के साथ एक ही ब्रांड नाम के तहत ब्रिटेन और यूरोप में बेची जाती है। हालांकि अमेरिका में इसे वजन घटाने के लिए जेपबाउंड के रूप में बेचा जाता है।
लिली की दवाओं के साथ-साथ डेनमार्क की प्रतिस्पर्धी कंपनी नोवो नॉर्डिस्क की अधिक मांग वाली वेगोवी और ओजेम्पिक जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट के रूप में प्रसिद्ध उपचार हैं, जिन्हें टाइप-2 मधुमेह के रोगियों में खून में शर्करा नियंत्रित करने के लिए विकसित किया गया था।
लेकिन इनसे पाचन प्रकिया भी धीमी हो जाती है, जिससे मरीजों को लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिससे उनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई तथा लिली और नोवो नॉर्डिस्क को मांग पूरी करने के लिए जूझना पड़ रहा है। अनुमान है कि दशक के अंत तक इन उपचारों का वैश्विक बाजार कम से कम 100 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।