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Education Expenditure: कंपनियों ने 2022-23 में शिक्षा पर खर्च किया एक तिहाई CSR धन, टूटा 9 साल का रिकॉर्ड

दुनिया के तमाम देशों में CSR खर्च स्वैच्छिक रखा गया है। नॉर्वे और स्वीडन जैसे देशों में आज सीएसआर स्वैच्छिक है मगर शुरुआत में यह अनिवार्य ही था।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- August 08, 2024 | 9:54 PM IST

CSR Education Expenditure in India: कंपनियों ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में शिक्षा पर 10,085 करोड़ रुपये खर्च किए, जो उस पर अब तक का सबसे अधिक सालाना सीएसआर व्यय है। सराकरी आंकड़ो के अनुसार शिक्षा क्षेत्र को सीएसआर की मोटी रकम मिल रही है।

सरकार शीर्ष कंपनियों को अपना कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व व्यय प्रस्तावित इंटर्नशिप योजना पर खर्च करने के लिए प्रेरित कर रही है मगर वित्त वर्ष 23 में भी कुल सीएसआर व्यय का एक-तिहाई हिस्सा शिक्षा पर खर्च किया गया। यह रकम नौ साल में सबसे ज्यादा रही है। इसके बनिस्बत व्यावसायिक कौशल पर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 1,164 करोड़ रुपये का ही सीएसआर धन खर्च किया गया है। यह 2021-22 के 1,033 करोड़ रुपये से कुछ ही ज्यादा है।

केंद्र सरकार चाहती है कि कंपनियां अपने सीएसआर कोष का पैसा देश के युवाओं को कौशल प्रदान करने और उन्हें नौकरी के लिए तैयार करने तथा रोजगार के लायक बनाने में इस्तेमाल करें। वह चाहती है कि इस रकम को विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे से जुड़ी गतिविधियों पर खर्च न किया जाए क्योंकि उन पर खर्च करने के लिए सरकार ही काफी है।

स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास परियोजना, पर्यावरण स्थिरता और आजीविका संवर्धन परियोजना चार अन्य क्षेत्र हैं, जिन पर सीएसआर कोष की सबसे ज्यादा राशि व्यय की गई है। सीएसआर व्यय में सबसे तेज उछाल पशु कल्याण क्षेत्र में देखी जा सकती है, जो वित्त वर्ष 2014-15 में 17 करोड़ रुपये ही था मगर वित्त वर्ष 2022-23 में कई गुना बढ़कर 315 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया।

कंपनी अधिनियम के मुताबिक सीएसआर अनिवार्य और वैधानिक कर्तव्य है। ऐसा प्रावधान चुनिंदा देशों में ही है, जिनमें अब भारत भी शामिल हो गया है। दुनिया के तमाम देशों में सीएसआर व्यय स्वैच्छिक रखा गया है। नॉर्वे और स्वीडन जैसे देशों में आज सीएसआर स्वैच्छिक है मगर शुरुआत में यह अनिवार्य ही था।

राष्ट्रीय सीएसआर पोर्टल पर दिखाए गए आंकड़ों के कंपनीवार विवरण से पता चलता है कि एचडीएफसी बैंक लिमिटेड ने वित्त वर्ष 2022-23 में 803 करोड़ रुपये खर्च किए और वह देश में सबसे अधिक सीएसआर खर्च करने वाली कंपनी रही। पिछले चार साल के आंकड़े उपलब्ध हैं और उस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड देश में कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए सबसे ज्यादा व्यय करने वाली कंपनी रही। मगर साल 2022-23 में रिलायंस 743.4 करोड़ रुपये के व्यय के साथ तीसरे स्थान पर रही। एचडीएफसी बैंक और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने उससे ज्यादा रकम खर्च की।

प्रधानमंत्री राहत कोष के तहत सीएसआर व्यय महामारी वाले वर्षों में तेजी से बढ़ा था मगर बाद में कम होता गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह घटकर 815.85 करोड़ रुपये रह गया, जबकि 2021-22 में यह 1,215 करोड़ रुपये और उससे पहले वाले वित्त वर्ष में 1,698 करोड़ रुपये था।

सीएसआर के जरिये सबसे कम धनराशि प्रौद्योगिकी इनक्यूबेटर क्षेत्र को मिली। इस क्षेत्र पर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान केवल 1 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि इससे पिछले साल यह राशि 8.6 करोड़ रुपये थी।

First Published : August 8, 2024 | 9:54 PM IST