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विमानों की किफायती उड़ान: दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डों का दबदबा बढ़ा

दोनों हवाईअड्डे किफायती विमानों (एलसीसी) के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केंद्र के तौर पर उभर रहे हैं, जहां एशिया-प्रशांत देश पहले से ही इसमें आगे हैं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- September 17, 2024 | 11:05 PM IST

दुनिया के सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों से जुड़े दिल्ली और मुंबई को ग्लोबल मेगा हब में बदलने की भारत की महत्त्वाकांक्षा अभी भी काफी दूर और मुश्किल बनी हुई है। मगर एक अलग मोर्चे में भारत प्रगति कर रहा है। दोनों हवाईअड्डे किफायती विमानों (एलसीसी) के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय केंद्र के तौर पर उभर रहे हैं, जहां एशिया-प्रशांत देश पहले से ही इसमें आगे हैं।

यात्रा के वैश्विक आंकड़े देने वाली फर्म ओएजी के मुताबिक दिल्ली हवाई अड्डा विश्व के शीर्ष 50 मेगा हब में 24 वें स्थान पर है। उसने साल 2023 से अपनी स्थिति एक पायदान ऊपर की है। आंकड़े सितंबर 2023 से अगस्त 2024 के बीच के हैं। इस बीच इस अवधि में क्षमता में तंगी के कारण मुंबई हवाईअड्डा 33वें से 44वें स्थान पर फिसल गया है।

यह रैकिंग अंतरराष्ट्रीय संपर्क और सेवा वाले गंतव्यों की कुल संख्या के अनुपात पर आधारित है। इसमें हरेक मार्ग पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या और उड़ानों की फ्रिक्वेंसी शामिल है जो ग्लोबल मेगा हब निर्माण का एक प्रमुख तत्त्व है।

दोनों भारतीय हवाईअड्डों पर इंडिगो का दबदबा है। दिल्ली में 21,781 अंतरराष्ट्रीय संपर्क के साथ इसकी हिस्सेदारी 31 फीसदी है जो 156 शहरों को कवर करती है। मुंबई में इंडिगो 127 गंतव्यों के साथ 12,849 अंतरराष्ट्रीय संपर्क में से 41 फीसदी से अधिक को नियंत्रित करती है।

ब्रिटिश एयरवेज का दबदबा वाला लंदन शीर्ष ग्लोबल मेगा हब बना हुआ है। इसके 61,356 अंतरराष्ट्रीय संपर्क में से 50 फीसदी 227 गंतव्यों तक पहुंचते हैं। इस बीच, एयर एशिया की बदौलत कुआलालंपुर दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह चार साल पहले 2019 में 12वें पायदान पर था। मगर दिल्ली बैंकॉक, सिंगापुर, मनीला, जकार्ता और बगोटा जैसे प्रमुख शहरों से अभी भी पीछे है।

First Published : September 17, 2024 | 10:44 PM IST