मंदी की मार टेलीविजन पर प्रसारित किए जाने वाले विज्ञापनों की दर पर भी पड़ी है।
प्रमुख मनोरंजन चैनलों- स्टार प्लस, जी टीवी और सोनी जैसे चैनलों को प्राइम टाइम में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की दर को मजबूरन घटाना पड़ा है।
अब ये दरें वर्ष 2005-06 के स्तर पर पहुंच गई हैं। मनोरंजन चैनलों पर प्राइम टाइम (रात 8 से 11 बजे) में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की दर आमातौर पर काफी महंगी होती है।
मीडिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, कुछ महीने पहले इस समयावधि में विज्ञापन की दर प्रति 10 सेकेंड 1.25-1.6 लाख रुपये थी, जो घटकर 80,000 से 1.25 लाख रुपये पहुंच गई है।
मीडिया एजेंसी के विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा हालात में विज्ञापन देने वाले प्रमुख सेक्टर-ऑटोमोबाइल, बैंकिंग, बीमा, कंज्यूमर डयूरेबल्स आदि अपने विज्ञापन मद को मनोरंजन चैनलों पर खर्च नहीं करना चाह रहे हैं, वहीं कुछ कंपनियां वेट एंड वॉच की रणनीति पर चल रही हैं।
मुद्रा मैक्स के प्रमुख और अध्यक्ष चंद्रदीप मित्रा का कहना है कि कुछ मनोरंजन चैनलों में विज्ञापन के लिए उपलब्ध टाइम स्लॉट बिके तक नहीं हैं।
यही वजह है कि चैनल वाले इसे कम दर पर बेचने की कोशिश में जुटे हैं। जानकारों के मुताबिक मनोरंजन चैनलों को प्रति माह औसतन 200 करोड़ रुपये की आय विज्ञापन से होती है, वह घटकर 160 करोड़ रुपये रह जाएगी।
हुंडई की विज्ञापन एजेंसी इनोसिएन के ज्वॉइंट एमडी विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि मौजूदा समय में ज्यादातर कंपनियां मनोरंजन चैनलों पर खर्च की जाने वाली रकम में कटौती कर रही हैं।
उनके मुताबिक, कंपनी वर्ष 2009 में आयोजित होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग, चैंपियंस लीग और अन्य क्रिकेट कार्यक्रमों पर ध्यान रख रही है।
स्टारकॉम इंडिया के कार्यकारी निदेशक (उत्तरी क्षेत्र) तरुण निगम का कहना है कि तमाम कंपनियों को नकदी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।
विज्ञापनों में कंपनियों ने की कटौती, मनोरंजन चैनलों ने घटाईं प्राइम टाइम की दरें