दवा खरीदने वाले ग्राहकों को इस साल राहत मिल सकती है। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में बहुत मामूली बदलाव के कारण आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची(NLEM) में शामिल दवाओं के दाम बढ़ने की संभावना नहीं है।
थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के मुताबिक NLEM की दवाओं के दाम में बदलाव होता है। इसके पहले के दो वर्षों 2023 में कीमत में 12.12 प्रतिशत और 2022 में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है।
NLEM में शामिल दवाओं की अधिकतम कीमत राष्ट्रीय औषधि मूल्य प्राधिकरण (एनपीपीए) तय करता है। पिछले साल डब्ल्यूपीआई में बदलाव के सापेक्ष कीमत में सालाना बदलाव की अनुमति दी गई थी। वहीं गैर NLEM दवाओं के मामले में कंपनियों को कीमत में 10 प्रतिशत वृद्धि की अनुमति है।
वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी मासिक WPI आंकड़ों के आधार पर दवा उद्योग की गणना के मुताबिक कैलेंडर वर्ष 2023 में पहले के साल की तुलना में -0.0165 प्रतिशत बदलाव हुआ।
दवा उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘इसलिए NLEM दवाओं की कीमत में व्यापक आधार पर कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।’
कम से कम दो उद्योग संगठनों ने पुष्टि की है कि WPI में बदलाव को देखते हुए ग्राहकों के लिए NLEM की दवाओं की कीमत वैसी की वैसी ही बनी रहेगी।
एक उद्योग संगठन के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम सार्वजनिक न किए जाने की शर्त पर कहा, ‘NPPA NLEM दवाओं की कीमत में बदलाव की घोषणा मार्च में करेगा, जो अप्रैल 2024 से लागू होगा। WTI में ऋणात्मक बदलाव को लेकर हम स्पष्टता का इंतजार कर रहे हैं। इसे लागू करने पर कीमत में 0.0165 प्रतिशत की कमी आएगी। इसकी वजह से बाजार से दवाएं वापस मंगानी पड़ेंगी और मौजूद दवाओं पर फिर से कीमत चिपकानी होगी।’
बहरहाल ग्राहकों के ऊपर व्यावहारिक रूप से आवश्यक दवाओं की कीमतों का असर नहीं पड़ेगा।
इंडियन फार्मास्यूटिकल्स अलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा कि अनुसूची एम अधिसूचित किए जाने के साथ उद्योग और सरकार का ध्यान अब दवाओं की गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने पर होगा।
जैन ने कहा, ‘दवाओं की कीमत में हाल की बढ़ोतरी से महंगाई पर असर नहीं पड़ा है, क्योंकि भारतीय बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। ऐसे में कंपनियों ने NLEM दवाओं के दाम में मामूली बढ़ोतरी की है।’