अलकार्गो लॉजिस्टिक्स का शेयर सोमवार को करीब 4 फीसदी टूट गया जब तय डीलिस्टिंग फ्लोर प्राइस ने निवेशकोंं को निराश किया। कंपनी ने शनिवार को ऐलान किया था कि प्रवर्तकों ने डीलिस्टिंग प्राइस 92.58 रुपये प्रति शेयर तय किया है, जो सोमवार के बंद भाव 114.5 रुपये के मुकाबले 19 फीसदी कम है।
फ्लोर प्राइस सिर्फ आधार कीमत है, जिस पर प्रवर्तक कंपनी को प्राइवेट बनाने के लिए आम शेयरधारकों से शेयर खरीदते हैं। अंतिम डीलिस्टिंग प्राइस हमेशा ही फ्लोर प्राइस के मुकाबले भारी प्रीमियम के साथ होता है। विशेषज्ञोंं ने कहा कि निवेशकों ने फ्लोर प्राइस पर निराशा जताई है क्योंकि यह बताता है कि डीलिस्टिंग को लेकर प्रवर्तक शायद बहुत ज्यादा गंभीर नहीं हैं।
ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (इक्विटी) यश गुप्ता ने कहा, डीलिस्टिंग सकारात्मक घटनाक्रम होगी लेकिन प्रस्तावित कीमत आम शेयरधारकों के अनुमान के मुताबिक नहीं है।
पिछले तीन हफ्ते में डीलिस्टिंग की घोषणा की पृष्ठभूमि में कंपनी का शेयर करीब 30 फीसदी चढ़ा। अलकार्गो में आम निवेशकों की शेयरधारिता 30 फीसदी है। वेदांत, हेक्सावेयर और अदाणी पावर जैसी अन्य फर्मों के प्रवर्तकों ने भी डीलिस्टिंग की घोषणा की है।
जब कंपनी डीलिस्टिंग की घोषणा करती है तो निवेशक आम तौर पर उस कंपनी का शेयर हाथों-हाथ ले लेते हैं क्योंकि ऐसा ट्रेड काफी कमाई वाला होता है। हालांकि नाकाम कोशिश से ऐसे दांव बेकार चले जाते हैं।
आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स के शोध प्रमुख ए के प्रभाकर ने कहा, ऐतिहासिक मूल्यांकन से निवेशकों को अपनी नजर नहीं हटानी चाहिए। आपको ऐतिहासिक पीई मूल्यांकन के मुकाबले मामूली प्रीमियम मिल सकता है, उससे ज्यादा नहीं।
उन्होंने कहा, डीलिस्टिंग कुछ ऐसी चीज है जो निवेशकों के परिसंपत्ति का सृजन नहींं करने जा रहा। प्रवर्तक का इरादा काफी स्पषष्ट है कि वह कारोबार का परिचालन निजी तौर पर करना चाहते हैं। उनके पास पूंजी का अवरोध भी होता है और आपको असीमित रकम का भुगतान वे नहींं कर सकते। बेहतर है कि निवेशक डीलिस्टिंग से दूर रहे, अगर उन्हें ऐसे मामलों में पूरी चीजें समझ में न आती हो।