डीएचएफएल के तीनों बोलीदाताओं ओकट्री, पीरामल और अदाणी समूह ने हाउसिंग फाइनैंस कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन शून्य किया है, ऐसे में शेयरधारकों के लिए कोई ऊंची कीमत नहीं होगी जब 14 जनवरी को कंपनी को सबसे ऊंची बोली की पेशकश की जाएगी।
सोमवार को डीएचएफएल का बाजार पूंजीकरण 941 करोड़ रुपये था क्योंकि कंपनी के शेयर का कारोबार 30 रुपये रुपये पर हुआ जबकि कंपनी को दिवालिया प्रक्रिया में भेजा गया है। इन चीजों ने निवेशकों को असमंजस में डाल दिया। एक सूत्र ने कहा, जब लेनदार किसी बोलीदाता की पेशकश स्वीकार करेंगे तब शेयरधारकों को कुछ भी नहीं मिलेगा। ऐसे में डीएचएफएल का 941 करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण एक रहस्य है।
उन्होंंने कहा, कई अन्य दिवालिया मामलों में शेयरधारकों को कुछ भी नहीं मिला है। डीएचएफएल का शेयर हालांकि अपने 52 हफ्ते के उच्चस्तर (11 दिसंबर) से नीचे आया है। लेनदार अभी तीन प्रस्तावों पर वोटिंग कर रहे हैं और इसके नतीजे 14 जनवरी को आएंगे। एक ओर जहां ओकट्री ने लेनदारों को 38,400 करोड़ रुपये की पेशकश की है, जिसमें टुकड़ों में भुगतान व 11,400 करोड़ रुपये की अग्रिम नकदी शामिल है। पीरामल ने 12,250 करोड़ रुपये अग्रिम नकदी की पेशकश की है। लेनदारों को अग्रिम नकदी की पेशकश डीएचएफएल के खाते में पहले से ही जमा 12,000 करोड़ रुपये की नकदी से की गई है। पीरामल की योजना डीएचएफएल के परिचालन मेंं सुधार के लिए नई पूंजी लगाने की भी है। साथ ही वह समाधान योजना के क्रियान्वयन के पहले साल में डीएचएलएप के 3,800 करोड़ रुपये के परिचालन में इजाफा करना चाहती है। ओकट्री ने भी डीएचएफएल में 1,000 करोड़ रुपये की नई इक्विटी लगाने की पेशकश की है। पीरामल ने डीएचएफएल को अपनी वित्तीय सेवा इकाई का विलय डीएचएफएल के साथ करने की पेशकश की है, ऐसे में वह अपने वित्तीय सेवा कारोबार के 10,000 करोड़ रुपये के निवेश को विलय वाली इकाई में डाल देगी।
समाधान योजना लेनदारों के अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट धारकों व उसके कर्मचारियों का भी ध्यान रखेगी लेकिन इक्विटीधारकों को कुछ नहीं मिलेगा। एक सूत्र ने कहा, यह आश्चर्यजनक नहीं है। कुछ ही बोलीदाताओं ने दिवालिया कंपनियों के शेयरों की वैल्यू सामने रखी है और भूषण स्टील व बिनानी सीमेंट्स जैसी कंपनियों को निजी बनाने को तरजीह दी है। नया मालिक उस समय शेयरों को सूचीबद्ध करा सकता है जब एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और परिचालन स्थिर हो जाएगा।
डीएचएफएल के लेनदारों ने कंपनी के खिलाफ 90,000 करोड़ रुपये का दावा किया है। इसमें से भारतीय स्टेट बैंक का हिस्सा सबसे ज्यादा 10,000 करोड़ रुपये का है।