बीएस बातचीत
विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाए जाने से जीवन बीमा कारोबार प्रभावित हुआ है। बजाज अलियांज लाइफ इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ तरुण चुघ ने कोरोना की दूसरी लहर में सावधि बीमा पॉलिसियों, सावधि पालिसियों की कीमत में बढ़ोतरी और कोविड से मौत संबंधी दावे बढऩे जैसे कई मसलों पर सुब्रत पांडा से बात की। प्रमुख अंश…
लॉकडाउन के इस चरण में कारोबार पर कितना असर रहा?
इस साल अप्रैल पिछले साल जितना बुरा नहीं था, लेकिन मई के आंकड़ों पर असर दिख रहा है। अगर मई महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कुछ वृद्धि दर्ज होती है तो मुझे आश्चर्य होगा, भले ही पिछले साल कड़ा लॉकडाउन था। अगर कोई वृद्धि दर्ज की जाती है तो वह ग्राहकों में जोखिम की धारणा बढऩे की वजह से होगी। उम्मीद है कि जून में स्थिति सुधरेगी।
क्या दूसरी लहर में सावधि पॉलिसियों की मांग बढ़ी है?
सावधि पॉलिसियों का दौर वापस आया है। पिछले साल की पहली तिमाही सावधि पॉलिसियों के लिए शानदार थी। लेकिन चूंकि बीमा दरें पिछले साल बढ़ीं और कोविड संक्रमण कम हो गया, ऐसे में कारोबार में सुस्ती आ गई। कुल मिलाकर पूरे साल के आंकड़े बेहतर थे और शुरुआती दो तिमाहियों के कारण ऐसा हुआ। लेकिन चौथी तिमाही में सावधि पॉलिसियों की गति सुस्त रही। यूनिट लिंक्ड और गारंटी वाली पॉलिसियों की मांग ज्यादा रही। लेकिन वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही की तुलना में अप्रैल से इसने गति पकड़ ली।
अंडरराइटिंग मानकों में सख्ती क्यों आई है?
सब कुछ पुनर्बीमाकर्ता पर निर्भर करता है। पिछले साल पुनर्बीमाकर्ताओं के लिए बेहतर साल नहीं था, ऐसे में अंडरराइटिंग उनकी तरफ से सख्त हुए। लेकिन अगर एक व्यक्ति इलाज कराता है, इसके उचित दस्तावेज देता है और अपने स्वास्थ्य की स्थिति साफ साफ बताता है तो लाइफ कवर पाना मुश्किल नहीं है। अब और ज्यादा जांच जोड़ी गई है। उदाहरण के लिए हमने कोविड संबंधी सवाल जोड़े हैं। और इस समय हम उन लोगों का बीमा नहीं कर रहे हैं, जिन्हें कोविड है। ऐसे लोगों से हम कह रहे हैं कि 3 महीने बाद आएं और उसके बाद आपके आवेदन पर विचार किया जाएगा।
क्या सावधि पॉलिसियों के दाम और बढ़ेंगे?
सावधि के दाम 2008-09 से 2016-17 तक कम हुए हैं और इस तरह से विकसित दुनिया की तुलना में भारत में सावधि पॉलिसी की कीमत सबसे कम है। अब कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। एक बार अभी और बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि अब उसी अनुपात में कीमतें बढऩी हैं। लेकिन अभी भी, भारत में कीमत विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है।
क्या वित्त वर्ष 21 में मृत्यु संबंधी दावों का अनुभव खराब रहा है और क्या आप दूसरी लहर के बाद वित्त वर्ष 22 में स्थिति और खराब रहने की उम्मीद कर रहे हैं?
हां, कुल मिलाकर मृत्यु संबंधी दावे बढ़े हैं। वित्त वर्ष 20 और हमारी योजना की तुलना में यह बहुत ज्यादा है। कंपनी ने 1300 से ज्यादा कोविड संबंधी मृत्यु के दावों का 74 करोड़ रुपये भुगतान किया है। इस मोड़ पर मैं कहना चाहूंगा कि चिंता की बात है, लेकिन हमें देखो और इंतजार करो की रणनीति अपनानी होगी, क्योंकि दावों की रिपोर्टिंग में देरी होती है।
समूह सावधि पॉलिसियों की बहुत ज्यादा मांग है?
हां, ऐसी पॉलिसियों की मांग रही है और ऐसी पॉलिसियों में मृत्यु के दावे भी ज्यादा रहे हैं। ग्रुप टर्म का अनुभव खराब रहा है क्योंकि ग्रुप टर्म में दावे ज्यादा प्रभावी तरीके से होते हैं। ग्रुप टर्म में अंडरराइटिंग सख्त हो रही है। अब बहुत ज्यादा कवर पाना आसान नहीं होने जा रहा है। कुल मिलाकर पुनर्बीमा पर जोखिम ज्यादा होता है, जिसके लिए उन्हें मोटा शुल्क मिलता है। वे पहले ज्यादा कमाते थे, लेकिन अब उनके लिए कठिन समय है।
दीर्घावधि के हिसाब से क्या जीवन बीमा में टीकाकरण को अनिवार्य किया जा सकता है?
फिलहाल इस तरह की कोई जरूरत सामने नहीं आई है। हम अभी इंतजार करेंगे। इस मोड़ पर मैं टीकाकरण पर जोर नहीं दे रहा हूं, अन्यथा ग्राहक पॉलिसी नहीं खरीद पाएंगे। अभी बीमा की प्राकृतिक जरूरत है और मैं पॉलिसी देने से इनकार नहीं कर सकता।
क्या वित्त वर्ष 22 के लिए वृद्धि का कोई लक्ष्य है?
हम लक्ष्य तय करने की प्रक्रिया में थे, लेकिन अब उसी तरफ जा रहे हैं, जो पिछले साल किया गया था। हम लक्ष्य के बजाय स्थितियों के हिसाब से काम करेंगे। अभी कोई निश्चितता नहीं है, हम नहीं जानते कि तीसरी लहर होगी।