भारत बायोटेक का कोविड-19 टीका कोवैक्सीन 78 फीसदी तक प्रभावी है और कंपनी ने बुधवार को कहा कि यह कोविड-19 की गंभीर बीमारी से बचाव में 100 फीसदी तक असरदार है। इस टीके ने हल्के लक्षण वाले संक्रमण से बचाव में 70 फीसदी प्रभावी है और यह विषाणु के प्रसार को रोकता है। कोवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण का दूसरा अंतरिम विश्लेषण कोविड-19 के 87 संक्रमण लक्षण वाले मामलों पर आधारित है। परीक्षण में जांचकर्ताओं और वॉलंटियर दोनों को ही यह पता नहीं होता है कि उन्हें प्रायोगिक दवा दी गई है या टीका। नमूने में बीमारी की एक खास तादाद का पता चलने के बाद उस डेटा का खुलासा किया जाता है कि जिन्हें टीके दिए गए उन्हें संक्रमण या बीमारी हुई या नहीं।
हैदराबाद की कंपनी ने कहा, ‘हाल में मामलों में तेजी आने के कारण, 127 लोगों में संक्रमण के लक्षण वाले मामले दर्ज किए गए जिससे कोविड-19 के हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों से बचाव में टीका 78 फीसदी प्रभावी है। कोविड-19 बीमारी में गंभीर स्थिति होने पर प्रभाव 100 फीसदी तक था और जिसका असर अस्पताल में भर्ती होने की कम दर में भी नजर आया। कोविड-19 के हल्के लक्षण वाले संक्रमण पर यह 70 फीसदी तक असरदार था जिससे कोवैक्सीन लेने वालों में संक्रमण का प्रसार घटा।’
पहले अंतरिम विश्लेषण में होल वायरन (वायरस) ने कोविड-19 टीके को निष्क्रिय कर दिया और टीके ने 80.6 फीसदी असर दिखाया था। इसमें 60 साल से अधिक उम्र के 2433 लोग और अन्य बीमारियों से ग्रस्त 4500 लोग शामिल थे।
पहला अंतरिम विश्लेषण 43 मामलों पर आधारित था जिनमें से कोविड-19 के 36 मामले प्रायोगिक दवाओं वाले समूह में जबकि 7 मामले बीबीवी152 (कोवैक्सीन) समूह में देखे गए जिसके परिणामस्वरूप टीके के 80.6 फीसदी तक प्रभावी होने का अनुमान लगाया गया।
कंपनी अपनी टीका उत्पादन क्षमता को सालाना 70 करोड़ खुराक तक बढ़ाने की प्रक्रिया में है और यह 60 देशों में अपने उत्पाद की मंजूरी हासिल करने के लिए भी कोशिश कर रही है। मेक्सिको, फिलिपींस, ईरान जैसे देशों में इसे पहले से ही प्रति शॉट 15-20 डॉलर मिल रहा है।
इसने कहा कि अंतिम विश्लेषण में सुरक्षा और प्रभाव से जुड़े नतीजे जून में उपलब्ध होंगे और अंतिम रिपोर्ट प्रकाशन के लिए जमा की जाएगी। इसके अलावा, सफ लता के मापदंड की उपलब्धि के आधार पर प्रायोगिक दवा हासिल करने वाले कोवैक्सीन की दो खुराक हासिल करने के पात्र हो गए हैं। तीसरे चरण के अध्ययन में 18.98 वर्ष की आयु वाले 25,800 प्रतिभागियों को नामांकित किया गया, जिसमें 60 साल की उम्र से अधिक 10 प्रतिशत लोग शामिल थे और दूसरी खुराक के 14 दिन बाद इसका विश्लेषण किया गया।
भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने कहा, ‘सार्स-कोव-2 से बचाव में यह प्रभाव दिखा है। कोवैक्सीन ने मानव क्लीनिकल परीक्षणों में और आपातकालीन इस्तेमाल में एक बेहतरीन सुरक्षा रिकॉर्ड का प्रदर्शन किया है। कोवैक्सीन अब एक वैश्विक नवाचार टीका है जो भारत में हुए अनुसंधान और विकास प्रक्रिया से तैयार की गई है। कोविड-19 के गंभीर और हल्के लक्षण वाले संक्रमणों से बचाव में प्रभाव से जुड़ा डेटा अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अस्पताल में भर्ती और बीमारी के प्रसार में कमी लाने में मदद करता है।’
नतीजों पर टिप्पणी करते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव बलराम भार्गव ने कहा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि आईसीएमआर और बीबीआईएल द्वारा तैयार किए गए पहले स्वदेशी कोविड-19 टीका कोवैक्सीन ने 78 फीसदी प्रभाव दिखाया है। मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि कोवैक्सीन सार्स-सीओवी-2 के अधिकांश स्वरूपों से बचाव में अच्छी तरह से काम करता है। ये निष्कर्ष एक साथ वैश्विक टीका क्षेत्र में हमारे स्वदेशी टीके की स्थिति को मजबूत करते हैं।’