देश के पहले स्वीकृत स्वदेशी कोविड-19 टीके कोवैक्सीन को अपने तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण में 81 फीसदी अंतरिम प्रभावी पाया गया है। इसकी विनिर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने बुधवार को यह जानकारी दी। एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफर्ड का टीका दो पूरी खुराकों के साथ62 फीसदी प्रभावी रहा है। यह एक आधी और एक पूरी खुराक दिए जाने पर 90 फीसदी प्रभावी रहा। रूस का टीका स्पूतनिक वी 19,866 वॉलंटियर पर परीक्षण के दौरान अंतरिम रूप से 91.6 फीसदी प्रभावी पाया गया है। कोवैक्सीन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक ने मिलकर विकसित किया है। इसे देश के दवा नियामक ने जनवरी में चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान ही मंजूरी दे दी थी। उस समय 25,800 लोगों पर तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा था। इस मंजूरी से आम जनता और चिकित्सा समुदाय में रोष पैदा हो गया था। सरकारी मशीनरी को अफवाहें दूर करने के लिए सक्रिय होना पड़ा। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा, ‘हालांकि तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है, लेकिन दूसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण के प्रतिरक्षा पैदा करने के आंकड़े प्रभावीपन बताने के लिए काफी हैं।’
आईसीएमआर ने एक बयान में कहा कि प्रभावीपन के अंतरिम आंकड़ों से यह भारतीय टीका अग्रणी वैश्विक टीकों के बराबर आ गया है। भागर्व ने कहा, ‘महज आठ महीने से भी कम समय में पूर्ण रूप से स्वदेशी कोविड-19 टीके की खोज और मानव पर इस्तेमाल शुरू करने का सफर चुनौतियों से लडऩे और वैश्विक जन स्वास्थ्य समुदाय में गर्व के साथ खड़े होने की आत्मनिर्भर भारत की असीमित ताकत को दर्शाता है। यह भारत के वैश्विक टीका महाशक्ति के रूप में उभरने का भी सबूत है।’
भारत बायोटेक के सीएमडी कृष्णा एल्ला ने अपने उत्पाद में पूरा भरोसा जताया और कहा कि कोवैक्सीन ने जानवरों पर अध्ययन में 100 फीसदी नतीजे दिखाए हैं। इसका मतलब है कि टीकाकरण के बाद जब जानबूझकर उन्हें वायरस के संपर्क में लाया गया तो जानवरों को बीमारी नहीं हुई। चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान कोवैक्सीन के प्रतिबंधित उपयोग का मतलब है कि लाभार्थियों को अपनी सहमति देनी होगी और नियमित रूप से उन पर नजर रखी जाएगी। ऐसे व्यक्तियों को प्लसीबो (कूट दवा) नहीं दी जाएगी। इस बीच भारत बायोटेक हर महीने चार करोड़ खुराक पैदा करने की तैयारी कर रही है। दो इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं और तीसरी पर काम चल रहा है।
अंतरिम प्रभाविता : 80.6 फीसदी
यह निष्क्रिय वायरस वाला कोविड-19 टीका तीसरे चरण के परीक्षण में 80.6 फीसदी प्रभावी रहा है। इस अध्ययन में 18 से 98 साल के लोग शामिल थे। इनमें 2,433 लोग 60 साल से अधिक उम्र के और 4,500 लोग पहले से किसी बीमारी वाले थे। भारत बायोटेक ने कहा, ‘पहला अंतरिम विश्लेषण 43 मामलों पर आधारित है, जिनमें से कोविड-19 के 36 मामलों को प्लेसबो समूह में और 7 मामलों को बीबीवी152 (कोवैक्सीन) समूह में देखा गया, जिससे टीके के 80.6 फीसदी प्रभावी होने का संकेत मिला।’ इस अंतरिम विश्लेषण में सुरक्षा आंकड़ों की प्रारंभिक समीक्षा शामिल है। कोवैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर भंडारित किया जा सकता है। इसने वायरस के यूके स्ट्रेन के खिलाफ भी असर दिखाया है। एल्ला ने कहा कि वे अन्य म्यूटेंट स्ट्रेन के लिए अपने उत्पाद में 15 दिन में बदलाव कर सकते हैं। उन्होंने हाल में कहा था, ‘अगर आईसीएमआर दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन को आइसोलेट करता है तो मैं तो आसानी से विनिर्माण को उसी के मुताबिक बना सकता हूं और दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन से 15 दिन में उत्पाद बनाया जा सकता है। सब कुछ वही रहेगा, केवल स्ट्रेन को बदलना होगा ताकि टीके का नया संस्करण मिल सके।’
