कंपनियां

प्राइवेट सेक्टर की ठंडी प्रतिक्रिया, कपड़ा PLI में होगा बदलाव

सरकार इस क्षेत्र में निजी भागीदारों को आक​र्षित करने के लिए योजना को लचीला बनाने की कर रही तैयारी

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- November 13, 2023 | 10:11 PM IST

कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों की ठंडी प्रतिक्रिया देखते हुए सरकार इसमें ज्यादा लचीलापन लाकर आकर्षक बनाने की तैयारी कर रही है। इससे श्रम आधारित कपड़ा क्षेत्र में निवेश और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा।

कपड़ा मंत्रालय ने इस योजना के तहत और उत्पादों को शामिल करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी मांगी है। कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना को दो साल पहले लाया गया था, जिसका उद्देश्य मानव निर्मित परिधान और तकनीकी टेक्सटाइल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इसके लिए 10,683 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।

मानव निर्मित कपड़े में विस्कस, पॉलिएस्टर, एक्रिलिक शामिल हैं, जिसे रसायनों से बनाया जाता है। निर्यातक मानते हैं कि इस समय देश के कुल परिधान निर्यात में मानव निर्मित कपड़ों के परिधानों की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। तकनीकी टेक्सटाइल में नए जमाने के कपड़े शामिल हैं, जिसका उपयोग पीपीई किट, एयरबैग, बुलेटप्रूफ जैकेट के उत्पादन में किया जा सकता है। साथ ही इसका उपयोग विमानन, रक्षा एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भी किया जा सकता है।

मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मानव निर्मित कपड़ों के एचएसएन कोड के दायरे में ज्यादा से ज्यादा श्रे​णियों को शामिल करने के लिए पीएलआई योजना में अ​धिक लचीलापन प्रदान करने के मकसद से कैबिनेट प्रस्ताव जारी किया गया है।’

अ​धिकरी ने आगे कहा कि एचएसएन कोड में ज्यादा लचीलापन लाने के प्रस्ताव का निर्णय इसलिए किया गया है, क्योंकि कपड़ा उद्योग में फैशन तथा कपड़ों की मांग तेजी से बदलती रहती है।

इसलिए प्रोत्साहन को चुनिंदा कपड़ा श्रे​णियों तक सीमित रखना समझादारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अतीत में कोड तय करते समय कुछ त्रुटियां हुई थीं, जिससे कृत्रिम और प्राकृतिक धागे पर भ्रम पैदा हो गया था। इस पर उद्योग के भागीदारों से प्रतिक्रिया भी मिली है। सरकार को उम्मीद है कि अगर पीएलआई योजना में बदलाव होते हैं तो इस क्षेत्र से ज्यादा आवेदन तथा निवेश प्रस्ताव आएंगे।

कपड़ा मंत्रालय ने पहली बार दिसंबर 2021 में इस योजना का दिशानिर्देश जारी किया गया था। इसके तहत सरकार को तकरीबन 6,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव के साथ 64 आवेदन मिले थे।

एक साल बाद करीब 7-8 कंपनियां पीछे हट गईं क्योंकि प्रतिकूल निर्यात बाजार एवं विशेषज्ञता नहीं होने के कारण वे मानव निर्मित कपड़े या तकनीकी कपड़ों के उत्पादन में निवेश करने की इच्छुक नहीं थीं।

इस महीने की शुरुआत में कपड़ा मंत्रालय ने नए आवेदन आमंत्रित करने की समयसीमा बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी थी। सरकार कपड़ा क्षेत्र के लिए एक और पीएलआई योजना के वास्ते मंत्रिमंडल की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है। यह योजना परिधान खंड पर केंद्रित होगा।

First Published : November 13, 2023 | 10:11 PM IST