अमेरिकी कार कंपनी क्रिसलर तमिलनाडु में कार निर्माण के लिए नया संयंत्र लगाने की योजना बना रही है। इसके लिए कंपनी की एक टीम जल्द ही तमिलनाडु भी आने वाली है।
हालांकि अभी इस बारे में राज्य और कंपनी के बीच बातचीत ही चल रही है। इस बातचीत से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी दरअसल एशिया में अपने विस्तार की योजनाएं बना रही है। लगातार बढ़ते भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार पर भी कंपनी की नजर टिकी है और कंपनी यहां भी कदम रखने की योजना बना रही है।
इस साल की शुरुआत में ही राज्य सरकार के कई विभागों के अधिकारियों की टीम राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका गई थी। टीम के अधिकारियों ने वहां क्राइसलर के अधिकारियों के सामने तमिलनाडु में संयंत्र लगाने का प्रस्ताव भी रखा था।
इस वित्त वर्ष में तमिलनाडु सरकार लगभग 30,000 करोड़ रुपये के समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर करेगी। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक इस निवेश का लगभग 50 फीसदी ऑटोमोबाइल उद्योग से है। जबकि 25 फीसदी इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर सेक्टर से है। क्रिसलर को राज्य में निवेश के लिए आमंत्रित करना राज्य में निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में ही एक कदम है।
क्रिसलर उन कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में से एक है जो भारत में मौजूद नहीं हैं। फ्रांस की सेट्रियॉन और मलेशिया की प्रोटोन भी जल्द ही भारतीय बाजार में कदम रखने वाली हैं। दोनों ही कंपनियां कई बार भारत में आने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं। राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक 2007 में जर्मनी की डैमलर से अलग होने के बाद क्रिसलर के साथ बातचीत काफी तेज हो गई है। अगर यह कंपनी जल्द ही भारत में आ जाए तो इस पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिये।
मई 2007 में डैमलर ने क्रिसलर में अपनी 80 फीसदी हिस्सेदारी लगभग 296 अरब रुपये में सर्बेरस कैपिटल मैनेजमेंट को बेची थी। नौ साल पहले डैमलर ने इस अमेरिकी कंपनी क्रिसलर में इतनी हिस्सेदारी लगभग 1,480 अरब रुपये में खरीदी थी। जब डैमलर और क्रिसलर को एक ही प्रबंधन संचालित करता था तब से डैमलर के अधिकारी कह रहे थे कि कंपनी भारतीय बाजार में क्रिसलर के जरिये ही प्रवेश करना चाहेगी। हालांकि यह बात आगे नहीं बढ़ पाई।
अगर क्रिसलर तमिलनाडु में निवेश करती है तो चेन्नई और पुणे कॉरिडोर के बीच ऑटोमोबाइल क्षेत्र से हो रहे निवेश को लेकर चल रही प्रतिस्पर्धा के और बढ़ने के आसार हैं। दोनों ही राज्यों में ऑटोमोबाइल कंपनियां खुलकर निवेश कर रही हैं। इस कारण ये दोनों शहर भारत के डैट्रोएट के रूप में उभर रहे हैं।
हाल ही में फॉक्सवैगन, जनरल मोटर्स के साथ ही फिएट, टाटा मोटर्स और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने पुणे में निवेश करने की घोषणा की है। दूसरी तरफ चेन्नई में निसान, रेनो और अशोक लीलैंड जैसी बड़ी कंपनियां निवेश कर रही हैं। माना जा रहा है कि कम कीमत वाले वाहन बनाने के लिए दिल्ली के हीरो ग्रुप और डैमलर एजी का संयुक्त उपक्रम तमिलनाडु में संयंत्र लगा सकता है।