बाजार में छाई मंदी के कारण सीमेंट उद्योग को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
कुल 7 करोड़ टन की क्षमता वाले और नए सीमेंट संयंत्र लगने से लगभग 85,000 करोड़ रुपये के इस बाजार के कारोबारियों के अनुसार आर्थिक मंदी और लंबे समय तक रहने वाली है।
वित्त वर्ष 2008 में सीमेंट उद्योग की क्षमता में लगभग 3 करोड़ टन का इजाफा हुआ था। माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2009 में 4.5 करोड़ टन और 2010 में 3 करोड़ टन क्षमता और बढ़ाएगी। हालांकि इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियां कम खपत और अधिक उत्पादन को लेकर काफी चिंतित हैं।
श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक और सीमेंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एच एम बंगुर ने बताया, ‘अगर हम उत्पादन क्षमता का विस्तार करते हैं तो घाटा लगातार बढ़ेगा। जबकि खपत में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस उद्योग पर छाए मंदी के बादल और काले होने की संभावना नजर आ रही है।’
उन्होंने बताया कि साल 2010 तक उद्योग की उत्पादन क्षमता में काफी इजाफा होने वाला है। पिछले 6 महीनों में उत्पादन क्षमता में लगभग 2 करोड़ टन का इजाफा हुआ है जबकि 7-8 करोड़ टन की उत्पादन क्षमता वाली परियोजनाएं जल्द ही शुरू होने वाली हैं।
हाल ही में अदित्य बिड़ला समूह के कुमार मंगलम बिड़ला ने हाल ही में कहा था कि वित्त वर्ष 2009 में सीमेंट उत्पादन क्षमता का विकास 6 फीसदी की दर से होगा। इससे आने वाले समय में सीमेंट की खपत में होने वाली कमी का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन बांगुर के मुताबिक अतिरिक्त उत्पादन होने के कारण कोई भी खतरा नहीं है और आने वाले समय में उद्योग बढ़ती मांग में हो रहे इजाफे को पूरा करने में सफल रहेगा।