अमेरिका के डेलावेयर और न्यूयॉर्क की अदालतों में बैजूस और उसके ऋणदाताओं के बीच चल रही कानूनी लड़ाई और 1.2 अरब डॉलर के टर्म लोन बी (टीएलबी) के विवादित होने के कारण इस एडेटक कंपनी को रकम जुटाने में आगे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों और उद्योग के विशेषज्ञों ने यह अनुमान जाहिर किया है।
उन्होंने कहा कि इससे आकाश एजुकेशनल सर्विसेज (एईएसएल) के आईपीओ में भी देरी हो सकती है। एईएसएल अगले साल आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देने की तैयारी कर रही है।
एडटेक दिग्गज ने हाल ही में कहा है कि बैजूस ने अमेरिका की निवेश प्रबंध कंपनी रेडवुड के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया है। इसमें 1.2 अरब डॉलर के टर्म लोन बी के खिलाफ चुनौती दी है और ऋणदाता को अयोग्य घोषित करने को कहा है।
बैजूस ने ऋण पर लगभग 4 करोड़ डॉलर के ब्याज का भुगतान भी नहीं किया है और भारत की इकलौती स्टार्टअप कंपनी बन गई जिसने अमेरिकी डॉलर में लिया गया कर्ज नहीं चुकाया है।
टीमलीड के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी शांतनु रूज ने कहा, ‘बैजूस के लिए भविष्य में कर्ज और इक्विटी जुटाना एक कठिन कार्य होने जा रहा है। जब भी भुगतान में कोई संकट आता है तो कंपनियां विभिन्न कारणों से भुगतान करने में असमर्थ होती हैं, जैसेः उनका इरादा नहीं है, उनके पास धन नहीं या फिर फिर उनके पास भुगतान करने की प्रक्रिया नहीं है।’
रूज ने कहा, ‘इस मामले में ऐसा लग रहा है कि कंपनी के पास ब्याज चुकाने सहित भुगतान करने के लिए घन नहीं है और फिर वह ऋणदाताओं पर ही मुकदमा कर अपने इरादे भी दर्शा रही है। कंपनी का कहना है कि वह ऋणदाता को ही अयोग्य घोषित करना चाहती है और पूरा टीएलबी ही विवादित है। 1.2 अरब डॉलर का ऋण कोई मजाक नहीं है। यह किसी भी नए निवेशक को इसमें शामिल होने से रोकने के लिए काफी है।’
बैजूस ने कहा कि उसने 1.2 अरब डॉलर का टर्म लोन बी तय वक्त से पहले अदा किए जाने की मांग के खिलाफ न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके जरिये कंपनी रेडवुड को अयोग्य घोषित करेगी, जिसने टर्म लोन की शर्तों का उल्लंघन करते हुए ऋण का बड़ा हिस्सा खरीद लिया है।
कंपनी के सूत्रों के अनुसार, लेनदारों को ब्याज का चालान भेजना पड़ता है मगर यह कंपनी तक नहीं पहुंचा है। कंपनी ने लेनदारों से यह भी कहा है कि बकाया ब्याज चुका दिया जाएगा और उसके पास पर्याप्त नकदी है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा है, ‘कंपनी ने लेनदारों को पत्र लिखकर कहा है कि ब्याज किसी भी वक्त चुकाया जा सकता है मगर पहले उन्हें समय-पूर्व अदायगी की मांग और डेलावेयर कोर्ट में मुकदमा खत्म करना होगा।’
इससे पहले बेंगलूरु की कंपनी की अमेरिकी इकाई बैजूस अल्फा पर हाल ही में अमेरिका के डेलावेयर में ऋणदाताओं के एक एजेंट ने मुकदमा दायर किया था, जिस पर कंपनी का 1.2 अरब डॉलर का कर्ज है।
ऋणदाताओं को एडटेक कंपनी के बीच महीनों तक चली बातचीत के बाद ऐसा हुआ था। ग्लास ट्रस्ट कंपनी और निवेशक टिमोथी आर पोह्ल ने बैजूस अल्फा, टैंजिबल प्ले (ओस्मो) और रीजू रवींद्रन पर मुकदमा दायर किया था।
बैजूस के अधिग्रहण
मार्च 2022: हेलो इंग्लिश, लैंग्वेज लर्निंग फर्म
दिसंबर 2021: ऑस्ट्रिया मुख्यालय वाली जियोजेब्रा का अधिग्रहण, जो कॉलोबरेटिव मैथ्स लर्निंग टूल उपलब्ध कराती है
सितंबर 2021: अमेरिकी कंपनी टायंकर, के-12 क्रिएटिव कोडिंग में अग्रणी
सितंबर 2021: ग्रेडअप, भारत में ऑनलाइन परीक्षा की तैयारी वाले सबसे बड़े प्लेटफॉर्म में से एक
अगस्त 2021: व्होडैट कंप्यूटर विजन स्टार्टअप
जुलाई 2021: ग्रेट लर्निंग का 60 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण, प्रोफेशनल व हायर एजुकेशन कंपनी
जुलाई 2021: अमेरिका के डिजिटल रीडिंग प्लेटफॉर्म एपिक का 50 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण
जुलाई 2021: टॉपर का 15 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण, जो परीक्षा की तैयारी कराने वाली फर्म है
अप्रैल 2021: 1 अरब डॉलर में आकाश एजुकेशन सर्विसेज का अधिग्रहण
मई 2021: ट्यूशन देने वाली फर्म हैशलर्न का अधिग्रहण
फरवरी 2021: संदेह दूर करने वाला प्लेटफॉर्म स्कॉलर
सितंबर 2020: वर्चुअल सिमुलेशन स्टार्टअप लैबइनऐप
अगस्त 2020: व्हाइटहैट जूनियर का 30 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण, जो बच्चों को कोडिंग सिखाती है
जनवरी 2019: अमेरिकी एजुकेशनल गेमिंग कंपनी ओस्मो का 12 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण
जुलाई 2018: मैथ लर्निंग प्लेटफॉर्म मैथ एडवेंचर्स
जुलाई 2017: ट्यूटरविस्टा और एडुराइट का ब्रिटिश कंपनी पियरसन से अधिग्रहण
जनवरी 2017: विद्यार्थी, डेटा फर्म जो कस्टमाइज्ड लर्निंग गाइडेंस मुहैया कराती है
(स्रोत : बीएस रिसर्च, कंपनी की रिपोर्ट)