प्रमुख दवा कंपनियां उन तमाम उपचारों पर काम कर रही हैं जो कोविड-19 के इलाज के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। भारतीय दवा नियामक इनमें से कई प्रस्तावों का आकलन कर रहा है जिनमें डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज, पीरामल फार्मा और कैडिला हेल्थकेयर जैसी कंपनियों से आए हैं।
हैदराबाद की दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज को कैंसर की संभावित दवा (2-डेऑक्सी-डी-ग्लूकोज ओरल पावर अथवा 2-डीजी) के तीसरे चरण का क्लीनिकल ??परीक्षण करने के लिए कहा गया है ताकि यह पता चल सके कि कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए यह कितना कारगर साबित होती है।
दवा 2-डीजी कोशिकाओं में ग्लूकोज की आपूर्ति को रोक देती है जिससे प्रभावित कोशिका का खत्म होना शुरू हो जाता है। यह कैंसर की एक संभावित दवा है क्योंकि यह कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को ग्लूकोज की आपूर्ति रोककर कारगर साबित हो सकती है। दवा 2-डीजी को फिलहाल नियामक से मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन कैंसर के उपचार के लिए दुनिया भर में इस पर कई अध्ययन हुए हैं। विचार यह है कि अन्य एंटी-वायरल दवाओं के साथ 2-डीजी का प्रयोग करने से कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के फेफड़े की कोशिकाओं को सार्स-सीओवी-2 वायरस की प्रतिकृति को रोकने में मदद मिल सकती है।
कोविड-19 से संबंधित मामलों में केंद्रीय औषधि एवं मानक संगठन (सीडीएससीओ) को सलाह देने वाली और वैश्विक महामारी के दौरान तेजी से मंजूरी देने के लिए प्रस्तावों का आकलन करने वाली विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज को इस दवा के पर्याप्त नमूने के साथ तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के लिए एक प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
एसईसी ने 13 अक्टूबर को आयोजित अपनी बैठक के बाद कहा कि दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के परिणामों में 90एमएम/केजी की अधिकतम खुराक के साथ प्रभावकारिता दिखाई गई है। समिति ने कहा, ‘हालांकि, दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में नमूने का आकार छोटा था।’
एसईसी ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को उन आवेदनों पर सलाह दी है जिनके तहत दवाओं और टीकों के लिए क्लीनिकल ??परीक्षणों की मंजूरी मांगी गई है। डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज ने 2-डीजी दवा के लिए दूसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण का आयोजन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की इकाई इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड एलाइड साइंसेज में किया है।
दूसरी ओर, मुंबई की दवा कंपनी पीरामल फार्मा एक हर्बल दवा स्फीरैन्थस इंडिकस यानी गोरखमुंडी के अर्क पर काम कर रही है। यह एक औषधीय पौधा है जो व्यापक रूप से भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग अन्य बीमारियों के अलावा मिर्गी, मानसिक बीमारी, पीलिया, मधुमेह, कुष्ठ रोग, खांसी, हर्निया और बवासीर जैसी बीमारियों के उपचार में किया जाता है।
वीजे गैलानी, बीजी पटेल और डीजी राणा द्वारा किए गए इस पौधे की समीक्षा के अनुसार, इस पौधे मेथनॉल अर्क ने चूहों और हप्र्स सिंप्लेक्स वायरस को संक्रमित करने वाले एक प्रकार के कोरोनावायरस के खिलाफ निरोधात्मक गतिविधि दिखाई। इस अर्क ने एंटीवायरल गुणों का भी प्रदर्शन किया।
पीरामल ने कहा कि कंपनी अपनी क्लीनिकल परीक्षण संबंधी योजनाओं के बारे में टिप्पणी नहीं करना चाहती है क्योंकि वह फिलहाल तिमाही नतीजे से पहले चुप्पी की अवधि में है। कंपनी ने एसईसी के समक्ष प्रोटोकॉल संशोधन के लिए एक प्रस्ताव दिया था और समिति ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद उस प्रोटोकॉल को मंजूरी दी है।
अहमदबाद की औषधि कंपनी कैडिला हेल्थकेयर को कोविड-19 से संक्रमित रोगियों के लिए ट््यूमर की दवा एडालिमेटाब के क्लीनिकल परीक्षण के लिए एसईसी से मंजूरी मिली है। कैडिला हेल्थकेयर कोविड-19 के लिए टीका विकसित करने की दौड़ में भी शामिल है।
एडालिमेटाब जैसे स्थापित ट्यूमररोधी नेक्रोसिस फैक्टर थेरेपी ने दर्शाया है कि वे सूजन को कम कर सकते हैं और रुमेटॉयड अर्थराइटिस के उपचार में कारगर साबित हो सकते हैं। इस प्रकार, इसका इस्तेमाल कोविड-19 से संक्रमित उन रोगियों पर संभावित उपचार के रूप में भी किया जा सकता है जो फेपड़े के उतकों में सूजन के कारण सांस की गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।
कैडिला की योजना है कि कोविड-19 रोगियों पर एडालिमेटाब के पहले से भरे सिरिंजों के साथ परीक्षण करने की है।