अनिल अंबानी के रिलायंस समूह ने कहा है कि उसने भूटान की ड्रक होल्डिंग ऐंड इन्वेस्टमेंट्स (डीएचआई) के साथ एक साझेदारी की है। समूह ने आज कहा कि इस साझेदारी के तहत वह संयुक्त रूप से सौर एवं जल-विद्युत परियोजनाएं विकसित करेगा। समूह का यह पहला विदेशी उद्यम है।
रिलायंस समूह ने अपनी प्रस्तावित 500 मेगावॉट सौर ऊर्जा और 770 मेगावॉट जल-विद्युत क्षमता परियोजनाओं पर निवेश का ब्योरा तो नहीं दिया मगर उसने कहा कि भूटान के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में यह सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है।
अनिल अंबानी समूह ने कहा कि ये क्षमताएं स्थापित करने के लिए उसने रिलायंस एंटरप्राइजेज स्थापित किया है, जो रिलायंर इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर की सहायक इकाई है। इस इकाई में दोनों की 50-50 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। कंपनी ने कहा कि यह नई इकाई हरित ऊर्जा खंड में नई पहल में तेजी लाएगी।
प्रेस विज्ञप्ति में यह नहीं बताया गया कि डीएचआई के साथ इस साझेदारी का स्वरूप क्या होगा। इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार इस साझेदारी के अंतर्गत सौर ऊर्जा क्षमता के लिए 50 प्रतिशत इक्विटी साझेदारी होगी और जल-विद्युत क्षमता के लिए डीएचआई की ओर से 51 प्रतिशत हिस्सा आएगा।
इसे लेकर तत्काल जानकारी नहीं दी गई कि परियोजना का स्वरूप क्या रहेगा, मसलन यह बिजली खरीद समझौते के जरिये होगा या इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) आधारित अनुबंध होगा। भूटान के गलेफू माइंडफुलनेस सिटी में 500 मेगावॉट सौर ऊर्जा संयंत्र अगले दो वर्षों के दौरान दो चरणों में तैयार होगा।
यह पूरी होने पर भूटान की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना होगी। रिलायंर पावर और डीएचआई दोनों मिलकर 770 मेगावॉट चमकरचू -1 जल-विद्युत परियोजना भी विकसित करेंगी। समूह ने कहा कि इससे भूटान की स्थापित बिजली क्षमता 2,452 मेगावॉट हो जाएगी।
रिलायंस समूह ने अपनी कंपनियों रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कई घोषणाएं की हैं और बुधावार को आया बयान भी उसी का हिस्सा है। पिछले सप्ताह रिलायंस पावर के निदेशकमंडल ने अपनी नवीकरणीय ऊर्जा निवेश के लिए 1,525 करोड़ रुपये मूल्य के इक्विटी शेयरों के तरजीही आवंटन को मंजूरी दे दी थी।