एमेजॉन और फ्यूचर गु्रप ने सिंगापुर इंटरनैशनल आर्बीट्रेशन सेंटर (एसआईएसी) के समक्ष पेश होने पर सहमति जताई है। संबद्घ पक्षों ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय (एससी) को यह जानकारी दी। दोनों पक्षों को भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना द्वारा जारी निर्देश में इस संबंध में मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में संयुक्त ज्ञापन दायर करने को कहा गया है।
अपने आदेश में सीजेआई ने न्यायाधिकरण से इस सुनवाई में तेजी लाने का भी अनुरोध किया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा, ‘दोनों पक्षों ने इसे लेकर सहमति जताई है कि वे एसआईएसी के समक्ष पेश होना चाहेंगी और अनुरोध करेंगी कि कार्यवाही, उससे संबंधित लंबित निर्णय प्रक्रिया में दोनों के बीच सहमति के आधार पर तेजी लाई जाए।’
सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों से यह भी कहा कि वे दिल्ली उच्च न्यायालय से एसआईएसी द्वारा जारी आपात मध्यस्थता फैसले के प्रवर्तन मामले की सुनवाई प्राथमिकता आधार पर करने का अनुरोध करें।
बैंक ऑफ इंडिया के अधिवक्ता ने भी सर्वोच्च न्यायालय में कहा कि वह वह अपना दखल अनुरोध वापस लेना चाहेगा और सीजेआई के साथ तीन न्यायाधीशों के पीठ ने बैंक का आवेदन वापस लेने की अनुमति दी है।
आदेश में कहा गया है, ‘आवेदक/हस्तक्षेपकर्ता बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दायर दखल संबंधित आवेदन आवेदक के अधिकारों और तर्क के बगैर वापस लेने की अनुमति है।’
सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को पीठ को अगली सुनवाई की जानकारी देने को भी कहा है, जो दिल्ली उच्च न्यायालय में मामलों को लेकर 6 अप्रैल को होनी है।
मौजूदा समय में दिल्ली उच्च न्यायालय दोनों पक्षों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।
पिछले सप्ताह हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस संबंध में एमेजॉन की याचिका पर अंतरिम आदेश जारी कर सकता है कि फ्यूचर रिटेल की परिसंपत्तियों (बिग बाजार शॉप समेत) को तब तक हस्तांतरित नहीं किया जा सकता, जब तक कि रिलायंस रिटेल के साथ उसके विलय से संबंधित विवाद पर मध्यस्थता पंचाट द्वारा निर्णय नहीं ले लिया जाता।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि एफआरएल के स्टोरों के जमींदार अदालत के समक्ष नहीं आते हैं तो हम उन दुकानों पर कब्जा लेने से रोकने का अदालती आदेश कैसे जारी कर सकते हैं।
सप्ताहांत के दौरान, एमेजॉन ने यह आरोप लगाते हुए फ्यूचर रिटेल के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) सौंपी थी कि रिटेलर (एफआरएल) रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ अपने करीब 25,000 करोड़ रुपये के सौदे के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय समेत विभिन्न भारतीय अदालतों के समक्ष झूठे बयान दे रहा है।