facebookmetapixel
SBI, PNB, केनरा से लेकर IOB तक ने लोन की दरों में कटौती की: आपके लिए इसका क्या मतलब है?Ola-Uber की बढ़ी टेंशन! दिल्ली में लॉन्च हो रही Bharat Taxi, ₹30 में 4 किमी का सफरExplainer: ओमान के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता, अबतक 17 करार; भारत FTA पर क्यों दे रहा है जोर?खत्म नहीं हो रही इंडिगो की समस्या! अब CCI ने शिकायत पर उड़ानों में रुकावट को लेकर शुरू की जांचIndia-Oman FTA: भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौता, 98% भारतीय निर्यात को ड्यूटी-फ्री पहुंचबिहार में ग्रीन एनर्जी में ₹13,000 करोड़ का बड़ा निवेश, BSPGCL ने ग्रीनको एनर्जीज के साथ किया करारटैक्स डिपार्टमेंट ने ईमेल कर बड़े ट्रांजेक्शन और प्रॉपर्टी डील पर संदेह जताया है? जानें ऐसी स्थिति में क्या करेंचीन चुपचाप बना रहा दुनिया की सबसे ताकतवर चिप मशीन, जानिए अंदर की कहानीअब पर्स रखने की जरूरत नहीं! गूगल पे ने पहला UPI-पावर्ड डिजिटल क्रेडिट कार्ड किया लॉन्च, ऐसे करेगा कामKotak Nifty Next 50 ETF: नए ब्लूचिप शेयर लॉन्ग टर्म में बनाएंगे वेल्थ! NFO में ₹5000 के निवेश शुरू

एमेजॉन पर तथ्य छिपाने का आरोप

Last Updated- December 12, 2022 | 2:30 AM IST

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने 2019 में फ्यूचर समूह की एक इकाई में निवेश के लिए मंजूरी मांगते समय अमेरिका की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन पर तथ्यों को छिपाने और गलत जानकारी देने का आरोप लगाया है। इससे रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपनी खुदरा परिसंपत्तियों की बिक्री करने संबंधी फ्यूचर समूह के निर्णय को लेकर एमेजॉन की कानूनी लड़ाई काफी जटिल हो गई है। मामला फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।
एमेजॉन ने तर्क दिया है कि 19.2 करोड़ डॉलर का भुगतान करते हुए फ्यूचर की गिफ्ट वाउचर इकाई में 49 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए 2019 के सौदे की शर्तें मूल कंपनी को रिलायंस के हाथों फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की बिक्री को रोकती हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने 4 जून के पत्र में कहा है कि एमेजॉन ने फ्यूचर रिटेल में अपनी रणनीतिक दिलचस्पी का खुलासा न करते हुए इस लेनदेन की तथ्यात्मक पहलुओं को छिपाया है। ऐसा उसने 2019 में इस सौदे के लिए मंजूरी मांगते समय किया था।
पत्र में कहा गया है, ‘आयोग के समक्ष एमेजॉन की प्रस्तुतियां और उसका आचरण गलत बयानी और तथ्यों को छिपाने की ओर इशारा करता है।’ उसमें यह भी कहा गया है कि फ्यूचर समूह की शिकायत के आधार पर एमेजॉन द्वारा किए गए खुलासों की समीक्षा की गई है। तथाकथित कारण बताओ नोटिस वाले चार पृष्ठों के एक पत्र में प्रतिस्पर्धा आयोग ने एमेजॉन से पूछा है कि गलत जानकारी देने के लिए उसके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए और जुर्माना लगाया जाए।
इस मामले से अवगत सूत्रों ने अपनी पहचान जाहिर न करने का आग्रह किया क्योंकि उस पत्र को फिलहाल सार्वजनिक नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में एमेजॉन ने फिलहाल कोई जवाब नहीं दिया है।
एमेजॉन ने एक बयान में रॉयटर्स से कहा कि उसे एक पत्र मिला है। वह भारत के कानूनों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ पूरा सहयोग करने के लिए तैयार है। उसने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की चिंताओं को दूर करने में सक्षम होंगे।’
फ्यूचर समूह और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मामले में रॉयटर्स द्वारा पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
जे सागर एसोसिएट्स में प्रतिस्पर्धा कानून के विशेषज्ञ एवं पार्टनर वैभव चोकसी ने कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा इस प्रकार का नोटिस जारी करना एक दुर्लभ मामला है। इससे स्पष्ट है कि यदि आयोग एमेजॉन के जवाब से संतुष्ट नहीं होगा तो वह जुर्माना लगा सकता है और सौदे की समीक्षा भी कर सकता है।

First Published - July 22, 2021 | 11:28 PM IST

संबंधित पोस्ट