दूरसंचार ऑपरेटर भारती एयरटेल को 31 मार्च से पहले 2,600 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया को करीब 3,650 करोड़ रुपये समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मद में देने पड़ सकते हैं। दूरसंचार विभाग के अनुसार इन कंपनियों को इस दौरान अपने बकाया एजीआर का 10 फीसदी चुकाना है।
दूरसंचार कंपनियों को पिछले साल 1 सितंबर को राहत मिली थी, जब सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बकाया चुकाने के लिए 10 साल की मोहलत दे दी थी। लेकिन उसने कहा था कि 10 फीसदी रकम का भुगतान 31 मार्च, 2021 तक कर दिया जाए। माना जा रहा है कि कंपनियां समूचे एजीआर बकाये का 10 फीसदी जमा नहीं करेंगी बल्कि 31 मार्च, 2020 से पहले के बकाये का 10 फीसदी ही अदा करेंगी। एक अधिकारी ने बताया कि सर्वोच्च अदालत को पता था कि फैसला आने से पहले कंपनियां कितना भुगतान कर चुकी हैं। अब कंपनियां फैसले के दिन तक बची राशि का 10 फीसदी ही देंगी। दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को इसकी कोई लिखित जानकारी नहीं दी है। मगर भारती एयरटेल और वोडाफोन का दावा है कि कुल एजीआर बकाये के 10 फीसदी से ज्यादा वे पहले ही भर चुकी हैं, इसलिए पहली किस्त मार्च, 2022 में ही चुकानी होगी।
एयरटेल ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि वह 43,980 करोड़ रुपये की कुल बकाया रकम में से 18,004 करोड़ रुपये पहले ही दे चुकी है, जो कुल बकाये के 10 फीसदी से ज्यादा हैं। दोनों कंपनियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाकर एजीआर गणना के आकलन की गुहार लगाई। उनका कहना था कि दूरसंचार विभाग ने एजीआर की मांग करते समय पहले ही वसूली जा चुकी राशि को शामिल नहीं किया। उन्होंने कुछ राजस्व मदों की गणना दो बार किए जाने की शिकायत भी की।
दूरसंचार विभाग के हिसाब से वोडाफोन आइडिया पर 58,254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है मगर कंपनी केवल 21,533 करोड़ रुपये बकाया होने की बात कहती है। इसी तरह विभाग ने एयरटेल पर 44,000 करोड़ रुपये की देनदारी बताई है मगर कंपनी 18,004 करोड़ रुपये पहले ही दे चुकी है। सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनियों को अपना एजीआर बकाया 10 साल में चुकाने की अनुमति दी थी और यह भी कहा था कि कुल बकाये का 10 फीसदी एकमुश्त जमा करने के लिए कहा था। भुगतान की समयसीमा 1 अप्रैल, 2021 से शुरू होनी है और पहली किस्त का भुगतान 31 मार्च, 2021 से पहले करना आवश्यक है।