मंदी के सीजन में सवारियों की कमी और अधिक लागत भारतीय विमानन व्यवसाय को प्रभावित कर रही हैं।
विमानन कंपनियां सवारियों की संख्या (लोड) बढ़ाने के लिए अब अंतिम समय में उड़ान रद्द करने और संयुक्त उड़ान भरने का सहारा लेने लगी हैं। तीन वर्षों में पहली बार जून के महीने में भारत में हवाई यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में पहली बार चार प्रतिशत की कमी देखी गई है।
स्पाइसजेट के बिक्री एवं विपणन उपाध्यक्ष कमल हिंगोरानी ने कहा, ‘मंदी के सीजन में भी मैंने सवारियों की संख्या (लोड फैक्टर) में ऐसी कमी नहीं देखी है। कल अधिकांश हवाई अड्डों पर जिस भारी तादाद में अंतिम समय में उड़ानों को रद्द किया गया वह भी मैंने पहले कभी नहीं देखा था।’
कम लागत वाली विमानन कंपनी के एक अधिकारी ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा, ‘मंदी का सीजन होने के कारण अधिकांश विमानन कंपनियों को लगभग 50 प्रतिशत सवारी मिल रही है (इससे पहले मंदी के सीजन में लोड फैक्टर 60-70 प्रतिशत के बीच हुआ करता था)। हमारी अधिकांश उड़ानों में सवारियां आधी होती हैं इसलिए वैसे दो उड़ानों को संयुक्त करने का विकल्प बेहतर है जिनके उड़ान भरने के समय आसपास हैं।’
दिल्ली एयरपोर्ट का उदाहरण लीजिए। पिछले हफ्ते प्रत्येक विमानन कंपनी द्वारा कुल मिला कर लगभग 200 उड़ानें रद्द की गई थीं। इसमें किंगफिशर, जेट और एयर इंडिया जैसे फुल सर्विस सेवा देने वाली कंपनियों के साथ-साथ इंडिगो, स्पाइसजेट और सिंप्लीफाई डेक्कन जैसी सस्ते किराये वाली कई विमानन कंपनियां (एलसीसी) भी शामिल थीं।